पूरी दुनिया के लिए, आज का दिन, बहुत मायने रखता है, क्योंकि 1987 में आज के ही दिन, दुनिया की पॉपूलेशन 5 अरब हो गई थी। उसी दिन को याद रखते हुए, यूनाइटेड नेशंज ने, साल 1989 में विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का फैसला किया था। जिसके बाद, 11 जुलाई 1990 को ये दिन पहली बार मनाया गया। इसका उद्देश्य, reproductive health और family planning के लिए लोगों को अवेयर करना था, ताकि ओवरपॉपूलेशन के बर्डन से बचा जा सके। लेकिन आज, धरती पर इंसानों की आबादी लगभग 800 करोड़ हो गई है। अब तक, पॉपूलेशन के मामले में, चीन, पूरी दुनिया में, पहले नंबर पर था। बढ़ती पॉपूलेशन के खतरे को देखते हुए चाइना ने, वन चाइल्ड पॉलिसी अपानाई। लेकिन 2015 में उसे, 2 child पॉलिसी लानी पड़ी, क्योंकि चीन में वर्किंग पॉपूलेशन कम होने लगी थी।
अगर भारत की बात करें, तो साल 1941 में, देश की कुल जनसंख्या 39 करोड़ थी। इसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश की जनसंख्या भी इनक्लूडिड थी। 1951 में, विभाजन के बाद, देश की पॉपूलेशन 36 करोड़ थी। और आज पॉपूलेशन के मामले में, भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। भारत में दुनिया का सिर्फ 2.4% लैंड मास है। और 4% पानी है। लेकिन दुनिया की लगभग 18% पॉप्यूलेशन, यानी 142 करोड़ लोग, भारत में है। अपनी जमीन और पानी की तुलना में इतनी ज्यादा पॉपूलेशन की जरूरतें पूरी करना, भारत के लिए बहुत चैलेंजिंग है। साफ पानी, साफ हवा और भोजन, जैसी बेसिक जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2030 तक, 40% भारतीयों के पास, पीने का पानी नहीं होगा।
आजकल, लोग एजुकेटिड हैं, इसलिए, 1 या 2 बच्चे ही करते हैं। और अडॉप्शन को भी अपना रहे हैं। लेकिन फिर भी, भारत में लगभग 3 करोड़ बच्चे अनाथ हैं। कारण – अनवाँटेड प्रेगनेंसी, फाइनांशियल क्राइसेज, मिसिंग केस, माइक्रो फैमिली, सांप्रदायिक दंगे और नैचुरल डिजास्टर। आखिर, सरकार और समाज इसके लिए क्या कर रहा है। बच्चे ही देश का भविष्य हैं, और भारत को तो, युवा देश होने का गौरव प्राप्त है, इसलिए इन अनाथ बच्चों की, परवरिश कैसे की जा सकती है, ये सोचने की जरूरत है। द रेवोल्यूशन देशभक्त हिंदुस्तानी, सिर्फ यही कहना चाहता है कि population control bill से ज्यादा, आम जनता को एजुकेशन और अवेयरनेस की जरूरत है।