क्या जिंदगी की हर दौड़ को जीतना ही सब कुछ है। क्या यही सफलता है। एक बार, एक स्कूल में रेस कॉम्पिटीशन चल रहा था। 11 साल का प्रिंस, अब तक 5 राउंड, जीत चुका था। सब लोग, उसके लिए तालियां बजा रहे थे। अबकी बार, उसकी रेस, एक अंधे व्यक्ति और बुजुर्ग महिला के साथ, हुई। इसमें भी, वो जीत गया। वो बहुत खुश था, उसने खुशी में अपनी बाहें ऊपर उठाईं। लेकिन इस बार, लोग चुप थे, किसी ने उसे चीयर नहीं किया।
तब फाइनल लाइन के पास खड़े, एक बुजुर्ग एम्पायर को उसने कहा- क्या हुआ है, इस बार, लोग मेरी सफलता में शामिल क्यों नहीं हुए? बुजुर्ग ने कहा अगर तुम, सच में जानना चाहते हो, तो मेरी बात माननी पड़ेगी। बच्चे ने कहा- ठीक है, बताओ क्या करना होगा। उस बुजुर्ग ने कहा यह रेस दोबारा होगी, और इस बार, तुम तीनो, एक साथ, फाइनल लाइन क्रॉस करोगे। रेस दोबारा हुई और इस बार, उस अंधे आदमी, बुजुर्ग महिला और प्रिंस ने, एकसाथ फाइनल लाइन को क्रॉस किया। लोगों ने उनके लिए तालियां बजाईं। इस कहानी का सार यही है कि सिर्फ सफलता के भूखे न बनें। यह भी ध्यान में रखें कि आप किसे कॉम्पिटीशन दे रहे हैं। यदि आपके कॉम्पिटीटर, आपसे कमजोर हैं, तो उन्हें, साथ लेकर आगे बढ़ें।