किसी रिश्ते या परिस्थिति में, कहीं आप उलझ तो नहीं गए हैं। मतलब, आपका मन उसे छोड़ना नहीं चाहता, और उस सिचुएशन में रहना भी, संभव नहीं है। आपने हर मुमकिन, कोशिश कर ली है, लेकिन रिजल्ट कुछ नहीं आ रहा। और अब, वो चीज, आपको खुशी से ज्यादा, तकलीफ दे रही है। तो क्या, यही वो समय है, जब उसे जाने देना चाहिए। लेकिन इसका कैसे पता चलेगा, कि उसे छोड़कर आगे बढ़ने का, ''यही'' सही वक्त है? चलिए, हम आपको, सही समय पर, सही निर्णय लेने की इस कला पर आधारित, एक कहानी सुनाते हैं।
दोपहर का समय था और तेज धूप थी। पेड़ की एक शाखा पर, एक बंदर बैठा था। सुबह से भूखा था, इसलिए, बस सोच रहा था कि कुछ तो खाने को मिल जाए। देखते-देखते शाम हो गई, लेकिन अब तक, उसे खाने को, कुछ नहीं मिला था। तभी, अचानक उसकी नजर, जमीन पर पड़े, एक जार पर गई। उसमें, बंदर का फेवरेट फूड- केला था। वो भागकर, वहां गया और जल्दी से, जार में हाथ डालकर, केले निकलाने लगा। वैसे तो, वो जार बड़ा था, लेकिन ऊपर से बिलकुल तंग था। मतलब, उसमें खाली हाथ आसानी से डाला जा सकता था, लेकिन मुट्ठी बंद करके, कुछ निकालना मुश्किल था।
बंदर, बार-बार कोशिश करता, लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं लगता। वो ना तो, केलों को छोड़ पा रहा था, और न ही केले को पकड़कर, अपना हाथ, जार से बाहर निकाल पा रहा था। छोड़कर जाने की बजाय, वो जिद्द पर अड़ा रहा और नाकामयाब, कोशिश करता रहा। इतने में शिकारी आए, और उस बंदर को पकड़कर ले गए। यह कहानी हमें, चेतावनी दे रही है कि "उस बंदर की तरह मत बनो,"। जिंदगी में कई ऐसे पडा़व आ सकते हैं, जहां हमें, दिल पर पत्थर रखकर, कुछ चीजों को छोड़कर आगे बढ़ना पड़ता है। इसलिए, आपको पता होना चाहिए कि कब छोड़ना है, कब आगे बढ़ना है। जब लगे, कि अब कुछ सही नहीं हो सकता, तो आगे बढ़ जाएं। हो सकता है यह नई शुरुआत, आपके लिए फायदेमंद हो।