अगर, आपके सामने कोई परेशानी आती है, तो आप क्या करते हैं। समय पर एक्शन लेते हैं या फिर उसकी कीमत चुकाने के लिए इंतजार। टाइम पर एक्शन लेना कितना जरूरी है, यह आज की हमारी कहानी आपको बताएगी। एक बार एक साइंस लैब में, फिजिकल क्षमता पर टेस्टिंग चल रही थी। इसके लिए, साइंटिस्ट ने, एक मेंढक लिया और उसे एक बर्तन में रखा। फिर उस बर्तन में, पानी भरकर, धीरे-धीरे उसे गर्म करना शुरू किया। बर्तन पर ढक्कन नहीं लगाया गया, ताकि जब मेंढक, पानी के टेंपरेचर को, बर्दाश्त ना कर पाए, तो वो कूदकर, आसानी से बाहर आ सके।
शुरुआत में, मेंढक शांति से पानी में बैठा रहा। जैसे-जैसे पानी का तापमान बढ़ा, उसमें कुछ हलचल दिखी। वो समझ गया था कि पानी गर्म हो रहा है। लेकिन फिर भी मेंढक, कूदकर बाहर निकलने की बजाय, खुद को उस गर्म पानी में, एडजस्ट करने की कोशिश करने लगा। पानी थोड़ा और गर्म हुआ, मेंढक, पहले से ज्यादा बेचैन हो गया। लेकिन, उसे लगा, कि अब भी, वो उस तापमान को झेल सकता है। इसलिए, वो बर्तन से बाहर नहीं निकला, बल्कि उस गर्म पानी में तालमेल बैठाने के लिए, उसने अपनी पूरी ताकत लगा दी।
देखते ही देखते, पानी उबलने लगा और उसकी टॉलरेंस से बाहर हो गया। अब मेंढक की जान पर बन आई थी, इसलिए उसने बर्तन से बाहर कूदने की कोशिश की। लेकिन हुआ क्या, वो पहले ही अपनी सारी एनर्जी, खुद को गर्म पानी से तालमेल बैठाने में लगा चुका था। अब उसमें, उतनी ऊर्जा नहीं बची थी कि, जोर से उछलकर बाहर निकल पाए। रिजल्ट क्या हुआ, वो बाहर कूदने में नाकाम रहा और उसी बर्तन में मर गया। अगर समय रहते, उसने अपनी पूरी एनर्जी के साथ बाहर निकलने की कोशिश की होती, तो वो जीवित होता। अक्सर, हमारे साथ भी यही होता है। परेशानियों से बाहर निकलने के लिए, हम टाइम पर एक्शन नहीं लेते और उसका रिजल्ट, इस कहानी में हम देख चुके हैं। इसलिए अगर लगे कि कोई दिक्कत आ रही है, तो हमें उम्मीद है कि आप समय पर एक्शन लेंगे। मेंढक के जैसी गलती न करें।