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लालच और जरूरत में क्या फर्क है This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

लालच और जरूरत में क्या फर्क है

किसी भी चीज की शुरुआत, छोटे स्तर से ही होती है। आज, मिसेज त्रिपाठी ने, जैसे ही बच्चों को पॉकेट मनी दी, तो आनंद नाराज हो गया। कहने लगा- कंचन की तुलना में उसे बहुत कम, पैसे मिलते हैं। सिर्फ यही नहीं, वो लगभग हर बात पर, ऐसी तुलना किया करता था। कभी खाने को भी कुछ दिया जा रहा हो, तब भी। ये देखकर मिसेज त्रिपाठी को लगा कि उसे लालच नहीं करना चाहिए। इसलिए उसे प्यार से समझाने लगीं। कहती हैं- एक बार, एक शेर को, बहुत भूख लगी थी। लेकिन बहुत गर्मी पड़ रही थी, फिर भी, वो शिकार पर निकला। काफी देर के बाद, उसे मिला भी, तो सिर्फ एक छोटा सा खरगोश।

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शेर ने उसे दबोच रखा था, वो उसे मारने ही वाला था, कि उसने, एक हिरण को आते देखा और सोचा, 'इस छोटे खरगोश को खाने के बजाय, मुझे इस बड़े हिरण को खाना चाहिए'। इसलिए, उसने खरगोश को जाने दिया और हिरण को पकडने के लिए दौड़ा। लेकिन वो हिरण इतना तेज भागा, कि जंगल में गायब हो गया। शेर के पास अब खाने के लिए कुछ नहीं था, न तो हिरण और न ही खरगोश। लालच क्या है- ये भावना कि- मेरे पास, सबसे ज्यादा होना चाहिए। अपने लिए, ज्यादा और बढि़या चाहना, बुरा नहीं है। ये महत्वकांक्षा और जरूरत है। लेकिन दूसरों का छीनकर, या उन्हें गिराकर, खुद ऊपर उठना, लालच है। लालच की वजह से, हमेशा नुकसान होता है।