आपको क्या लगता है, कि अगर आपके पास भारतीय नागरिकता है, तो क्या आप देश का हर राज्य घूम सकते हैं। दरअसल ऐसा बिलकुल भी नहीं है। भारत के कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां पर जाने के लिए, न सिर्फ विदेशियों को, बल्कि भारतीय नागरिकों को भी परमिट की जरूरत पड़ती है। इनमें से एक- 'उगते सूरज की भूमि' के नाम फेमस- अरुणाचल प्रदेश है, और दूसरा- मिजोरम। आज ये दोनों राज्य अपना स्टेटहुड डे मना रहे हैं, जिनका एक समृद्ध इतिहास आज भी कायम है। A- भारत 1947 में आजाद हुआ, लेकिन इसके कई राज्य, इसमें बाद में शामिल हुए। उनमें से 2 राज्य अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम हैं। भोर के जगमगाते पहाड़ों के नाम फेमस अरुणाचल प्रदेश को नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी यानी नेफा के रूप में जाना जाता था। साल 1972 में, यह भारत का केंद्र शासित प्रदेश बन गया और तब इसका नाम बदलकर अरुणाचल प्रदेश कर दिया गया। यह राज्य, साल 1987 से हर साल 20 फरवरी को अपना स्थापना दिवस मनाता है, क्योंकि इस दिन अरुणाचल प्रदेश भारत का राज्य बना था। दरअसल, अरुणाचल प्रदेश- असम से अलग होकर बना है, जिसकी राजधानी ईटानगर है। शायद आपको पता होगा, अगर नहीं तो हम आपको बता दें कि ईटानगर का नाम ईटा किले के नाम पर रखा गया है, जिसका मतलब है- ईंटों का किला। यह किला तकरीबन 14वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था। इतना ही नहीं, अरुणाचल प्रदेश का जिक्र- कालिका-पुराण, प्राचीन हिंदू साहित्य और महाभारत और रामायण जैसे कुछ प्राचीन महाकाव्यों और कविताओं में भी मिलता है।
अरुणाचल प्रदेश कई स्मारकों और प्राचीन स्थलों का घर है। परशुराम कुंड, 400 साल पुराना तवांग मठ और गोरसम चोर्टेन जैसे कई तीर्थ स्थलों में हर साल, बहुत विजिटर आते हैं। परशुराम कुंड एक पवित्र स्थान है, जहां हर साल मकर-संक्रांति मेला आयोजित होता है। उस दौरान कुंड में डुबकी लगाने के लिए पूरे भारत से बहुत से तीर्थयात्रि आते हैं। एक प्रचीन मान्यता है। कालिका पुराण में दर्ज एक कथा के अनुसार, जब परशुराम के हाथों उनकी मां की हत्या हो गई, तब उन्होंने अपने पापों को इस ब्रह्म कुंड के जल में धोया था। भारत में सबसे पहले सूरज का प्रकाश कहां पड़ता है, या फिर प्यारा डोंग विलेज कहां है, तो यह सब खासियत अरुणाचल प्रदेश में ही है। शायद आपको मालूम हो कि भारतीय नागरिक होने के बावजूद, अगर आप अरुणाचल प्रदेश में जाना चाहते हैं तो आपको, एक इनर परमिट की जरूरत होगी। और वो भी सिर्फ कुछ दिन बिताने की परमिशन देता है। इसके अलावा विदेशियों को पीएपी यानी प्रोटेक्टेड एरिया परमिट की जरूरत होती है।
अरुणाचल प्रदेश अपने ज़ीरो म्यूजिक फेस्टिवल के लिए फेमस है। जीरो अरुणाचल प्रदेश के निचले सुबनसिरी जिले का एक टाउन है, जो यूनेस्को की World Heritage Site में से एक है। अरुणाचल के बारे में एक और दिलचस्प बात यह है कि आप यहां उड़ नहीं सकते! हमारा मतलब फ्लाइट की उड़ान से है। दरअसल, अरुणाचल प्रदेश में कोई functional airport नहीं है। और यही वो स्टेट है, जिसके बॉर्डर को लेकर भारत-चीन विवाद हमेशा सुर्खियों में रहता है। दरअसल, बॉर्डर लाइन को लेकर दोनों देश अलग-अलग दावा करते हैं। जो भी हो, अरूणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है, जिसकी समृद्ध एतिहासिक विरासत, भविष्य का मार्गदर्शन कर रही है। B- मिजोरम के इतिहास की बात करें, तो मिज़ो हिल्स 1895 में ब्रिटिश भारत का हिस्सा बन गया था। शुरुआत में मिजोरम को असम के लुशाई हिल्स जिले के रूप में जाना जाता था। लेकिन साल 1954 में इसका नाम बदलकर असम के मिजो हिल्स जिला कर दिया गया। मिजो नेशनल फ्रंट के नरमपंथियों के साथ टाईअप करने के बाद 1972 में मिजोरम को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला। और जब साल 1986 में केंद्र सरकार और राज्य ने, मिजोरम शांति समझौते पर साइन किया, तब यह पूर्ण राज्य बन गया। लुसी मिजोरम की पहली भाषा थी, जिसे आमतौर पर मिजो भाषा के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा देश में सबसे ज्यादा वन, मिजोरम में हैं। यह राज्य अपने म्यूजिक और डांस कल्चर के लिए जाना जाता है। यह पूर्वोत्तर भारत के जिन राज्यों को सात बहनें कहा जाता है, मिजोरम उनमें से एक है। और यह भारत का दूसरा सबसे कम आबादी वाला राज्य है। अरुणाचल प्रदेश भारत का वो राज्य है, जो उगते सूरज को सबसे पहले आभार प्रकट करता है और मिजोरम- पहाड़ी लोगों की भूमि है। आज इन दोनों राज्यों के स्थापना दिवस पर, द रेवोल्यूशन देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से आप सभी को राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।