मूंगा सिल्क साड़ी, कांजीवरम सिल्क, फुलकारी और न जाने कितने ही ऐसे हैंडलूम प्रोडक्ट। हाथ से बुनी इन चीजों को देखकर, क्या आपको भी कभी लगता है कि बुनकर ने ये पैटर्न, डिजाइन कैसे बनाए होंगे। इन प्रोडक्ट्स के साथ हमारा एक इमोशनल कनैक्शन है, जो हमें हमारी विरासत से जोड़ता है। हैंडलूम का इतिहास सालों पुराना है, जो भारत में ही शुरू हुआ था। लेकिन 1920 के दशक में, जब पॉवरलूम आ गए, यानी मशीनें, तब पारंपरिक भारतीय हैंडलूम का पतन हो गया। उस समय ब्रिटिशों ने, हाथ से बुनी इन चीजों पर बैन लगाकर, भारत की संस्कृति को दबाने की कोशिश की थी।
इसे देखते हुए, 7 अगस्त, 1905 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने, स्वदेशी आंदोलन चलाया। ताकि स्वदेशी उद्योगों और बुनकरों को प्रोत्साहित किया जा सके। और उसी दिन की याद में, साल 2015 में, भारत सरकार ने 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस घोषित कर दिया। हरियाणा के पानीपत को, हैंडलूम का हब कहा जाता है। हालांकि हर राज्य में हैंडलूम products की अपनी खासियत है। इसकी 20 से 30 शैलियां हैं। जैसे महाराष्ट्र की पैठाणी साडि़यां, हिमाचल की कुल्लू शॉल, मैसूर सिल्क, राजस्थान से टाई एंड डाई तकनीक और मध्य प्रदेश की चंदेरी। देश का हैंडलूम सेक्टर मिनिस्ट्री ऑफ टैक्सटाइल यानी वस्त्र विभाग के तहत आता है। ये भारत के सबसे बड़े unorganized सेक्टर्स में से एक है। और गांव में रोजगार का दूसरा सबसे बड़ा जरिया है, जो 3 मिलियन से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है। भारत की हैंडलूम इंडस्ट्री में, 70% महिलाएं काम करती हैं।
इस सेक्टर को प्रोमोट करने के लिए, भारत सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। जैसे 1965 में Handloom Export Promotion Council बनाना, मनरेगा के तहत दिसंबर 2007 में, प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा राष्ट्रीय हथकरघा नीति पेश करना और National Handloom Development Programme जैसी कई और योजनाएं। भारत में पूरे देश में 500 से ज्यादा हथकरघा बुनाई यानी हैंडलूम वेवर्स clusters हैं। भारत दुनिया के 20 से ज्यादा देशों को हैंडलूम प्रोडक्ट निर्यात करता है। देश में जिनती भी कपड़े की प्रोडक्शन होती है, उसमें से 12% हिस्सा हैंडलूम का है। और पिछले 8 सालों से, भारत के सबसे ज्यादा हैंडलूम प्रोडक्ट अमेरिका ने खरीदे हैं। आज, नेशनल हैंडलूम डे पर, द रेवोल्यूशन-देशभक्त हिंदुस्तानी हथकरघा बुनकर्स के योगदान को सलाम करता है, जिनकी वजह से हमारी ये विरासत आज भी जिंदा है।