आज हमारे पास टीवी, मोबाइल और खासकर, इंटरनेट है, लेकिन एक जमाना था- रेडियो का। जो दुनिया की तमाम खबरों से लेकर, पंसदीदा गाने लोगों को सुनाता था। आज सोशल मीडिया और इंटरनेट के यूज के लिए किसी पर कोई लीगल बैन नहीं है, लेकिन उस जमाने में बिना लाइसेंस के, रेडियो भी नहीं सुन सकते थे। रेडियो के इस सफर की बात करें, तो ब्रिटिश वैज्ञानिक James Clerk Maxwell ने रेडियो के आविष्कार की शुरुआत की। और आख़िरकार सन 1896 में गुलिएल्मो मार्कोनी ने रेडियो का आविष्कार कर दिया। दुनिया में सबसे पहला रेडियो स्टेशन New York शहर में बना था।
अब आप सोच रहे होंगे कि आज हम रेडियो के बारे में क्यों बात कर रहे हैं। असल में, आज यानी 23 जुलाई को राष्ट्रीय प्रसारण दिवस होता है। साल 1927 में, आज के ही दिन, भारत में पहला रेडियो प्रसारण हुआ था। ये बॉम्बे की एक प्राइवेट कंपनी से हुआ था, जिसका नाम था- इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी। भारत के उस समय के वायसराय- लॉर्ड इरविन ने इसे लाँच किया था। हालांकि रेडियो क्लब ऑफ बॉम्बे और कलकत्ता रेडियो क्लब, 1923 से ही काम कर रहे थे। लेकिन उनकी कवरेज बहुत कम एरिया में थी। शुरुआत में भारत सरकार और इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी ने, इस प्रसारण को एक एक्सपैरिमेंटल बेस पर शुरू किया था, लेकिन बाद में ये प्रसारण, पूरी तरह से सरकार के कंट्रोल में आ गया। और इसका नाम इंडियन ब्राडकटिंग सर्विस कर दिया। 8 जून, 1936 को ये, इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस, ऑल इंडिया रेडियो बन गई, जो आज दुनिया का सबसे बड़ा रेडियो नेटवर्क है।
1956 में, ऑल इंडिया रेडियो को आकाशवाणी नाम दिया गया था। जो 23 भाषाओं और तकरीबन 180 बोलियों में कार्यक्रम प्रसारित करता है। भारत में कुल 9 रेडियो स्टेशन थे, लेकिन जब भारत-पाकिस्तान विभाजन हुआ, तो 3 रेडियो स्टेशन- पेशावर, लाहौर और ढाका, पाकिस्तान में चले गए थे। उस वक्त आकाशवाणी की सिर्फ 11% जनसंख्या तक पहुंच थी। लेकिन आज ये देश के 99.19% लोगों को एजुकेट, अवेयर और एंटरटेन कर रहा है। आज नेशनल ब्रॉडकास्टिंग डे के मौके पर, द रेवोल्यूशन- देशभक्त हिंदुस्तानी, बदलाव की इस क्रांति में, ऑल इंडिया रेडियो के योगदान की सराहना करता है।