आज का दिन, पारसियों के लिए बहुत खास है। क्योंकि आज हम, खोरदाद साल त्योहार मना रहे हैं, जो कि पैगंबर जोरोस्टर का जन्मदिन है। नवरोज पारसी कैलेंडर का न्यू ईयर है। और नवरोज के 6 दिन बाद ही, हम खोरदाद साल त्योहार मनाते हैं। इस दिन पवित्र अग्नि में चन्दन की लकड़ी चढ़ाने की परंपरा भी है। यानी कहीं न कहीं, भारत का हर धर्म प्रकृति से जुड़ा है। असल में, पारसी धर्म में एक साल 360 दिन का होता है। यानी बाकी 5 या 6 दिन, पारसी लोग 'गाथा' करते हैं। गाथा का मतलब है- अपने पूर्वजों को याद करने का दिन। इस धर्म के इतिहास की बात करें, तो पारसी धर्म ईरान का है। ये फारसियों के वंशज हैं। जब इस्लाम धर्म के लोगों ने ईरान पर कब्जा कर लिया, तो ज्यादातर पारसियों को मजबूरन इस्लाम कबूल करना पड़ा। लेकिन कुछ पारसी लोग, अपने धर्म को बचाने के लिए, ईरान छोड़कर भारत में बस गए। कहते हैं 10 सदी के आसपास, पारसी भारत में आए थे।
खोरदाद साल के अलावा, पारसियों के कई दूसरे त्योहार हैं- जैसे- गहम्बर, पतेटी, नवरोज़, जमशेद-ए-नवरोज़। असल में, ये सभी अलग-अलग त्योहार हैं और पारसियों के जीवन में इनका अपना महत्व है। गहम्बर, छह ऋतुओं के सम्मान में मनाते हैं, तो जमशेद-ए-नवरोज़, फारस के राजा जमशेद के सिंहासन पर बैठने की याद में। और पतेटी नए साल से पहले आता है, जो पश्तावे का प्रतीक है। भारत में 0.06% पारसी हैं, लेकिन देश के टॉप 10 अरबपतियों में शामिल हैं। टाटा, नुस्ली वाडिया, गोदरेज, और पूनावाला देश के टॉप बिजनेस groups हैं, जिनके मालिक पारसी कम्युनिटी के लोग हैं। यानी भारत के पारसी दुनिया के सबसे सफल मायनोरिटी और माइग्रेंट लोगों में से एक हैं। आज खोरदाद साल के इस मौके पर, द रेवोल्यूशन-देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।