कारगिल युद्ध को, आज 24 साल हो गए हैं। इस युद्ध को जीतकर, भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान को आइना दिखाया था- अपनी ताकत का। लेकिन कारगिल युद्ध के पीछे की कहानी, आखिर क्या थी। दरअसल, 13 अप्रैल 1984 को भारत ने, ऑपरेशन मेघदूत चलाया था, जिसे जीतकर भारत ने सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा कर लिया था। इस ग्लेशियर के जरिए पाकिस्तान, लेह, लद्दाख और चीन पर नजर रखना आसान था। इसलिए, ये ग्लेशियर रणनीतिक और भौगोलिक तौर पर बहुत फायदेमंद है। और इसी की चाहत में, साल 1999 में पाकिस्तानी सेना ने, कारगिल जिले पर भारतीय सेना की पोस्टिंग पर कब्जा कर लिया। असल में उसका टारगेट, कारगिल पर कब्जा करके सियाचिन ग्लेशियर को क्लेम करना था।
3 मई 1999 को कुछ चरवाहों ने भारतीयों सेना को, खबर दी कि पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ की है। जिसके बाद, 5 मई को भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम जब उस जगह पर पहुंची, तो पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और उनमें से 5 की हत्या कर दी। और इसी के बाद, इंडियन आर्मी ने शुरू किया ऑपरेशन विजय, जिसे इंडियन एयरफोर्स ने, 'ऑपरेशन सफेद सागर' नाम दिया। ये युद्ध जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में हुआ था, जो अब लद्दाख है। ये मिशन, भारत के प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की लीडर शिप में हुआ था। कारगिल युद्ध, दुनिया के सबसे खतरनाक युद्धों में से एक था। 18 हजार फीट की ऊंचाई, माइनस 10 डिग्री टेंपरेचर, लगभग 2 लाख से ज्यादा गोले, 5000 बम और 300 से ज्यादा मोर्टार, तोपों और रॉकेटों का इस्तेमाल। माना जाता है कि सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद यह इकलौता ऐसा युद्ध था, जिसमें दुश्मन सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी। ये युद्ध 26 जुलाई तक चला, लगभग 60 दिन। भारत इसे जीत गया, लेकिन इस लड़ाई में हमने अपने 527 जवान खो दिए। उनके बलिदान के सम्मान में आज पूरा भारत, कारगिल विजय दिवस मना रहा है। द रेवोल्यूशन-देशभक्त हिंदुस्तानी, भारतीय सेना के सभी जांबाजों को सलाम करता है, जिनकी बहादुरी और बलिदान की बदौलत हम अपने घरों में चैन की नींद सो पाते हैं।