विभाजन से पहले 565 रियासतों और 17 प्रांतों से, अपने सफर की शुरुआत से लेकर 1956 के बाद 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों के गठन तक, भारत ने कई बदलाव देखे। और परिवर्तन की इस फेहरिस्त में साल 2014 में 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के साथ हमारा राष्ट्र, विकास के मुकाम की ओर चलते सैपेरेशन और कनैक्शन के कई पल देख चुका है। इसी कड़ी में आज का दिन, यानी 15 नवंबर का दिन एक ऐसे भारतीय राज्य का स्थापना दिवस है, जो अपनी कबीलियाई आबादी के साथ अतीत से निकलकर वर्तमान में अपने स्वर्णिम भविष्य की ओर बढ़ते हुए भारत की ग्रोथ में अहम योगदान दे रहा है। मैं, झारखंड, जिसके जंगलों और वीरान इलाकों ने मुझे, बुशलैंड का खिताब दिया। मेरे लोगों ने भी भारत की आज़ादी की लड़ाई में 1857 से ही स्ट्रगल शुरू कर दी थी, लेकिन खुद को आजा़द करवाने में मैं, कामयाब हुआ भी तो साल 2000 में। जब उस साल 15 नवंबर को बिहार से अलग होकर, मैं, अपनी आदिवासी आबादी के साथ अपने वजूद को निखारने के सफर में निकल पड़ा, और बन गया भारत का 28वां राज्य। जहां महाभारत में मुझे, कर्क खंड कहा गया है, वहीं मुगल काल में मेरा निक नेम कुकरा था, और अब झारखंड मेरा शुभ नाम है, यानी "जंगलों" और "झारियों" की भूमि। मेरे सफर में याद है, मुझे हजारीबाग में सेंट कोलंबिया कॉलेज का वो स्टूडेंट, जिसने 1912 में पहली बार झारखंड राज्य का प्रस्ताव पारित कर मेरे अस्तित्व की गुहार लगाई थी। लेकिन मेरा एक शहर - झुमरी तलैया 1950 के दशक में ही रेडियो प्रसारण से बहुत फेमस हो गया।
आज मेरा, 22वां स्टेटहुड डे है। यह दिन, मुझे और मेरे हर निवासी को, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले मेरे, आदिवासी क्रांतिवीर बिरसा मुंडा की याद दिलाता है, जिसकी बर्थ एनीवरसरी के दिन साल 2000 में मेरा गठन हुआ। यूं तो मैं, तकरीबन 79,720 किमी स्कवेयर एरिया कवर करता हूं, जबकि पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा मेरी बाउंडरी के साथ लगते हुए अकसर मेरा हाल-चाल पूछ लिया करते हैं। भारत में क्षेत्रफल के हिसाब से मैं, 15वें रैंक पर, लेकिन पोपूलेशन के हिसाब से 14वां सबसे बड़ा राज्य हूं। मेरी राजधानी रांची और दुमका में उप-राजधानी है। मेरे 24 जिले हैं, जिनमें तकरीबन 4 करोड़ लोग रहते हैं। वहीं 81 विधायकों के अलावा, 6 सदस्य राज्यसभा में और 14 सदस्य लोकसभा में मेरा, प्रतिनिधित्व करते हैं। मेरे अक्स में बसे अद्भुत झरने, सुंदर वादियां, वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी, दामोदर नदी पर पंचेत बांध और कई पवित्र स्थान मेरी शोभा बढ़ाते हैं, वहीं कोल, आयरन, कोपर, यूरेनियम, बॉक्साइट, ग्रेनाइट, लाइमस्टोन, सिल्वर और डोलोमाइट जैसे कई मिनरल मुझे ''मिनरल हार्टलैंड ऑफ इंडिया'' के खिताब से नवाज़ते हैं। भारत की पहली यूरेनियम खदान- जादुगुड़ा भी मेरे, ही क्षेत्र में है, जो 1967 में शुरू हुई थी। भारत का 40 प्रतिशत मिनरल, मेरी ही मिट्टी से निकलता है, वहीं टाटा समूह अपनी इंडस्र्टी के एक बड़े हिस्से के साथ मुझसे, 100 से भी ज्यादा साल पुराना रिश्ता निभा रहा है। मेरे 80 प्रतिशत लोग खेती पर आश्रित हैं। खुशी की बात है कि मेरी, मल्टीपरपस पॉवर प्रोजेक्ट दामोदर वैली कोरपोरेशन आजा़द भारत की पहली बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है। पूर्वी भारत में स्थित छोटा नागपुर पठार, मेरा भी हिस्सा है, जिसे जर्मनी की रूहर वैली के नाम से जाना जाता है। हरे भरे जंगलों, प्राकृतिक झरनों और निचली पहाड़ियों से घिरा, मेरा नेतरहाट टाउन अकसर खुश हो जाता है, जब-जब स्थानीय और देशभर के लोग उसे स्विट्जरलैंड कहकर पुकारते हैं।
पारसनाथ, रजरप्पा जैसे कई फेमस रिलिजियस जगहों के अलावा, भारत के बारह शिव ज्योतिर्लिंगों में से एक बैद्यनाथ धाम भी मुझमे, बसता है, जहां 20 किमी की दूरी पर त्रिकूट हिल रोप-वे बना है, जिसे गगन खटोला के नाम से भी जाना जाता है। यह भी मुझे गौरवान्वित कर, 44 डिग्री के मैक्सीमम लेंस एंगल के साथ भारत का सबसे ऊंचा वर्टिकल रोप-वे बनाता है। रांची विश्वविद्यालय, बिरसा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, विनोबा भावे यूनिवर्सिटी सहित कई विश्वविद्यालय ऐसे हैं, जो मेरी युवा पीढ़ी को ज्ञानी बना रहे हैं। मेरी ही मिट्टी में पैदा हुए असंख्य लोगों ने मेरा सिर हमेशा गर्व से ऊंचा किया है, जिनमें भारतीय टीम के प्रसिद्ध क्रिकेटर और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, हिंदी सिनेमा की जानी-मानी हस्ती और मिस इंडिया मीनाक्षी शेषाद्रि और फेमस बॉलीवुड एक्टरेस और मिस वर्ल्ड प्रियंका चोपड़ा को आप सब जानते होंगे। प्रकृति के आगोश में समाया मैं, हमेशा ही लोगों की अट्रैक्शन का सेंटर पॉइंट रहा हूं, वहीं मेरे कल्चर और विरासत को सहेजे पारंपरिक लोक संगीत, वाद्ययंत्र और नृत्य अकसर मुझे ही झूमने पर मजबूर कर देते हैं। डोकरा कला मेरी पहचान है, जबकि बसंत पंचमी, होली, दिवाली, छठ, जित्या भैया जैसे कई त्योहार मेरे लोगों को एकता के बंधन में बांध देते हैं। साल 1771 से ही मेरे स्थानीय लोगों ने बहुत संघर्ष देखा है, लेकिन मैं खुश हूं आज झारखंड, भारत के विकसित और समृद्ध राज्यों में से एक बनने की ओर अग्रसर है। आज अपने स्थापना दिवस पर मैं, उम्मीद करता हूं कि राज्य के प्रतिनिधि अपने लोगों के कल्याण के लिए बिना किसी भेदभाव के काम करें। मैं, अपने दायरे में इंडस्ट्रियल एरिया को बढ़ाना चाहूंगा, बशर्ते प्रकृति के स्पर्श से बिना छेड़छाड़ किए राज्य विकास करे। इसके लिए फूड इंडसट्री मेरे लोगों के पक्ष में हो सकती है, लेकिन प्रदूषण को बढ़ाने वाले उद्योगों से मैं, सरोकार नहीं रखना चाहूंगा। पॉलिटीशियन को मेरी हिदायत है कि बरसों से मेरी मिट्टी में पलते संसाधनों का सही प्रयोग सुनिश्चित करें, ताकि मैं, हर रोज अपने लोगों की खुशियों में अपने गौरवशाली अतीत और भविष्य का प्रतिबिंब देख सकूं। आज, समृद्ध जनजातीय संस्कृति तथा प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण झारखंड फाउंडेशन डे के अवसर पर द रेवोल्यूशन देशभक्त- हिंदुस्तानी की ओर से आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।