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आज, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर- महावीर स्वामी की जयंती है। इस धर्म में, इससे पहले भी 23 तीर्थंकर मतलब महान शिक्षक रह चुके थे, लेकिन भगवान महावीर के धर्म प्रचार से, यह धर्म ज्यादा प्रसिद्ध हुआ। आज, भारत में 0.4 प्रतिशत से भी कम जैन लोग हैं, लेकिन देश की प्रोग्रेस में, इनका 25% काँट्रिब्यूशन है। देश के कुल इनकम टैक्स का 24% जैन देते हैं। कुल डायमंड एंड गोल्ड बिजनेस का 65% इनके पास है। चैरिटी में भी आगे हैं, 42% काँट्रिब्यूशन। 28% से ज्यादा भारतीय संपत्ति के मालिक जैन हैं। इतना ही नहीं, भारत के 46% शेयर ब्रोकर भी जैन समुदाय के लोग हैं।

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आबादी में कम, लेकिन हर सेक्टर को ये लीड कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि, इनके धर्म में जो रूल बने हैं, उन्हें ये सिर्फ पढ़ते नहीं है, बल्कि अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उतारते हैं। जैन धर्म, अहिंसा की ऐसी परिभाषा देता है, जो कहीं और नहीं मिलती। अहिंसा, शुद्ध शाकाहारी भोजन, मेडिटेशन, खुश रहना और दान करना, यह सब उनका धर्म सिखाता है, बाकी धर्म भी ये सब सिखाते हैं, लेकिन जैन, इस सब को प्रैक्टिस में लाते हैं। जैन लोगों ने साबित किया है कि ईमानदारी से भी बिजनेस हो सकता है। इतिहास पर गौर करें, तो महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व में, बिहार के, वैशाली में हुआ था। ऐसा माना जाता है, वो इससे पहले 23 बार जन्म ले चुके थे। वो, पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहाँ तीसरी संतान थे, जिनका नाम वर्धमान रखा गया। उनके बड़े भाई का नाम- नंदिवर्धन और बहन का नाम सुदर्शना था। वर्द्धमान का बचपन राजमहल में बीता। लेकिन एक दिन अचानक, वर्धमान ने मां को पूछा मैं सन्यास ले लूं। मां का जवाब था- जब तक मैं जिंदा हूं, ऐसा मत करना। वर्धमान मान गए। कुछ समय बाद, उनकी शादी यशोधरा से हुई थी, जिससे उन्हें एक बेटी हुई- उसका नाम प्रियदर्शनी था।

कुछ समय बाद, माता-पिता गुजर गए, तब 30 साल की उम्र में, उन्होंने अपने परिवार और शाही घराने को छोड़ दिया, और एक साधु बन गए। कहा जाता है कि महावीर की हाइट 10 फीट थी। उन्होंने 12 सालों तक तपस्या की और 42 साल की उम्र में उन्हें कैवल्य ज्ञान मिला। शुरुआत में, प्रियदर्शनी के पति, के अलावा 11 ब्रह्मण उनके शिष्य बन गए। और धीरे धीरे यह धर्म, तेजी से दुनिया में फैलता गया। 468 ईसा पूर्व में 72 वर्ष की आयु में महावीर स्वामी का निधन हो गया था। आज, महावीर स्वामी की जयंती पर, आइए उनके विचारों को अपनाकर, उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दें।