सीखने की प्रक्रिया जिंदगी भर चलती है, लेकिन क्यों कुछ लोग चाहकर भी, वो चीज नहीं सीख पाते, जो वो सीखना चाहते हैं। एक बार, एक महान विचारक थे। उनकी अब तक कई पुस्तकें और ग्रंथ प्रकाशित हो चुके थे। एक दिन, वो एक संत से मिले।
संत ने, उस विद्वान को एक कोरा कागज देते हुए कहा- जो कुछ तुम जानते हो और जो नहीं जानते हो, दोनों इस कागज पर लिख दो। संत ने कहा, ऐसा इसलिए, क्योंकि जो तुम्हें पता है, उस पर चर्चा करना बेकार है। इसलिए हम उस बारे में बात करेंगे, जो तुम्हें नहीं पता। वो विद्वान चिंता में पड़ गए। काफी देर सोचते रहे, लेकिन कुछ नहीं लिख पाए। उनके ज्ञान का अभिमान टूट चुका था। उन्होंने कोरे कागज को, संत के चरणों में ले जाकर कहा- मैं कुछ नहीं जानता महाराज, आपने मेरी आंखें खोल दीं।
उस संत ने जवाब दिया- अब ठीक है, तुम्हें पता चल गया कि तुम्हें कुछ नहीं आता, यही ज्ञान की पहली सीढ़ी है, अब तुम जो चाहो, वो सीख सकते हो।