आज का दिन विश्व स्तर पर इंजीनियर्स के लिए सेलिब्रेट किया जा रहा है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट की जरूरत को देखते हुए साल 2019 में यूनेस्को ने वर्ल्ड इंजीनियरिंग डे की घोषणा की थी। उसके बाद, 2020 से, हर साल 4 मार्च को यह दिवस मनाया जाने लगा। हम आपको बता दें कि 1968 में आज के ही दिन , वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ इंजीनियरिंग ऑर्गनाइजेशन स्थापित की गई थी। आज का दिन युवाओं को इंजीनियरिंग फील्ड में करियर के लिए प्रोत्साहित करता है और उन इजीनियरों को सम्मान देता है, जिनके प्रयास से दुनिया बदल रही है। आज हम आपको इंजीनियरिंग की दुनिया के कुछ अजूबों के बारे बताएंगे। साल 1937 का गोल्डन गेट ब्रिज, हमारे इंजीनियर्स की काबिलेतारीफ उपलब्धि थी, जिसे न सिर्फ हॉलीवुड फिल्मों में जगह मिली, बल्कि यह दुनिया में सबसे ज्यादा फोटो खिंचवाने वाला पुल भी है! जो अमेरिका की मशहूर सिटी सैन फ्रांसिस्को में है। एक और ऐसा ही अजूबा, बुर्ज खलीफा है। हो सकता है, आप में से भी कई ऐसे रोमांटिक कपल होंगे जो अपने पार्टनर को Eiffel Tower के सामाने प्रोपोज करने का प्लान कर रहे होंगे। इसके अलावा, विदेशियों की अट्रैक्शन, भारत की प्राचीन धरोहर "ताजमहल" को कैसे भूल सकते हैं। वास्तव में हमारे इंजीनियरों ने कई ऐसे निर्माण किए हैं, जो एक कल्पना जैसे लगते हैं।
इंजीनियरिंग शब्द सुनते ही, आपके दिमाग में आने वाली पहली चीज क्या है। बेशक, construction ही होगा, चाहे फिर वो रोड या ब्रिज जैसे बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट हों, या फिर छोटी बिल्डिंग। शहरों और देशों को एक-दूसरे से जोड़ने वाले पुल, सुरंग, रेलवे और सड़कों के अलावा, अंतरिक्ष और मेडिकल साइंस में इजीनियरों का बहुत योगदान है। भारत के औद्योगिक क्षेत्र में, 27% फैक्ट्रियां इंजीनियरिंग सेक्टर की हैं और कुल फोरेन कोलेबोरेशन में इस क्षेत्र का 63 प्रतिशत योगदान है। अगर वर्तमान की बात करें, तो आज इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर, माइनिंग, रिफाइनरी और स्टील जैसे सेक्टर्स में ज्यादा कैपेसिटी क्रिएट होने लगी है, जिसके कारण, पिछले कुछ सालों में इंजीनियरिंग सेक्टर में भी डिमांड बढ़ने लगी है, चाहे फिर वो प्रोडक्ट्स या सर्विसेज की हो, या फिर इंपलॉयमेंट की। इंजीनियरिंग मतबल बीटेक, एक टेक्निकल कोर्स है, जिसके तहत आप किसी भी फील्ड में स्पेशलाइजेशन चुन सकते हैं। उदाहरण के लिए मेकैनिकल और सिविल इंजीनियरिंग के अलावा एयरोस्पेस, ओशनिक, न्यूक्लिअर, बायोमेडिकल और एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग जैसे कई क्षेत्रों में, भारत के इंजीनियर शानदार प्रदर्शन के साथ आगे बढ़ रहे हैं। नेशनल साइंस फाउंडेशन के साइंस और इंजीनियरिंग इंडीकेटर के साल 2018 के सर्वे के बारे में बात करें, तो उसके अनुसार इंजीनियरिंग की डिग्री करने वाले युवा, सबसे ज्यादा भारत में हैं। लेकिन इसमें सबसे ज्यादा कमाल की बात यह है कि दुनिया को हर चौथा इंजीनियर भारत दे रहा है।
पुराने समय से ही भारत का एजुकेशन सिस्टम, पूरी दुनिया के लिए मिसाल रहा है। दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालय भारत में हैं। देश के नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय में दुनिया भर के छात्र पढ़ने आते थे। हां एक समय, भारत की गुलामी का आया, जब यह पिछड़ा जरूर। लेकिन आज फिर भारत, कई क्षेत्रों में दुनिया को लीड कर रहा है। कर्मचारियों की सप्लाई और डिमांड मार्केट से तय होती है, लेकिन भारत में बेरोजगारी का बड़ा कारण, कुलशला की कमी भी है। यह अलग बात है कि सरकार ने स्टेम प्रोग्राम्ज के तहत, साइंस, मैथ और इंजीनियरिंग जैसी फील्ड में युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण मुहैया करवा रही है, लेकिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा और दिन ब दिन विकसित हो रही टेक्नोलॉजी को देखते हुए स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप जैसे प्रोग्राम्ज के जरिए, अपनी स्किल डेवलपमेंट की जरूरत है। सबसे पहले, आप सभी को ग्लोबल इंजीनियर डे की बहुत- बहुत शुभकामनाएं। और इंजीनियरिंग सेक्टर की बात करें, तो प्रोजेक्ट कैंसिलेशन से लेकर बढ़ते स्किल गैप तक, इंडस्ट्री को सरकारी सपोर्ट की जरूरत है, क्योंकि अब भी, भारत के कुल व्यापारिक निर्यात का लगभग एक-चौथाई, इंजीनियरिंग सेक्टर से आता है। इसलिए, आर एंड डी में डेवलपमेंट के लिए सरकार को बिना किसी हस्तक्षेप के, निजी मार्केट को प्रोत्साहित करना चाहिए। प्राइवेट सैक्टर में ज्यादा से ज्यादा इनोवेशन की जरूरत है, क्योंकि यह सेक्टर मार्केट में डिमांड एंड सप्लाई को बहुत इन्फलूएंस करता है।