ऐसा लगता है, कि सब खत्म हो गया। जिंदगी से लेकर, अपनों तक, हर दरवाजा आपके लिए बंद हो गया हो, उस वक्त क्या करना चाहिए? क्या एक नई शुरुआत हो सकती है? हां, बिलकुल! हमारी स्टोरी का यह बच्चा, अगर ऐसा कर सकता है, तो आप क्यों नहीं? रात के लगभग, 12 बज रहे थे। बारिश में तूफान की आवाज, रात के सनाट्टे को चीरते हुए जा रही थी। चारों तरफ बिलकुल अंधेरा था, लेकिन एक घर से रोशनी आ रही थी, वहाँ चार मोमबत्तियां जल रही थी। बिस्तर पर एक 8 साल का लड़का बैठा था। एकदम बादल गरजे, वो कभी मोमबत्तियों को देखता, तो कभी खिड़की से बारिश को।
इस बीच, चारों मोमबत्तियाँ, आपस में बातें करने लगी। पहली मोमबत्ती बोली, “मैं शांति हूँ। लेकिन दुनिया में आज, हर तरफ, लड़ाई-झगड़ा दिखता है। मैं, यह सब और नहीं देख सकती। अब यहां, मेरी कोई जगह नहीं।” इतना कहकर, वो मोमबत्ती बुझ गई। दूसरी मोमबत्ती भी अपने मन की बात कहने लगी, बोली- “मैं विश्वास हूँ। लेकिन झूठ और फरेब ने मेरा वजूद खत्म कर दिया है। इसलिए, मैं भी जा रही हूँ.” यह बोलकर दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गई। दुखी मन से तीसरी मोमबत्ती बोली,- “मैं प्रेम हूँ। मैं हर किसी के लिए, हर पल जल सकती हूँ। लेकिन आज, किसी के पास मेरे लिए वक़्त नहीं बचा। मुझे लगता है, अब मेरा जाना ही ठीक होगा।” यह बोलकर, अचानक तीसरी मोमबत्ती भी बुझ गई।
मोमबत्तियों को बुझता हुआ देखकर, वो लड़का, बहुत दुखी हुआ और रोने लगा। रोते रोत बोलने लगा, क्या तुम भी, मेरे मां-बाबूजी की तरह, मेरा साथ छोड़कर जा रही हो। “अंधेरे में, मुझे इस तरह, बीच में छोड़कर कैसे जा सकती हो तुम? तुम्हें तो अंत तक पूरा जलना था। अब मैं, अकेला क्या करूंगा?” बच्चे की बात सुनकर, चौथी मोमबत्ती प्यार से बोली, “घबराओ नहीं, मैं आशा हूँ और मैं अंत तक, तुम्हारे साथ रहूंगी। जब तक मैं जल रही हूँ, तुम मेरी लौ से, दूसरी मोमबत्तियों को जला सकते हो।” उसने मोमबत्ती की बात मानकर, शांति, विश्वास और प्रेम को दोबारा जलाया। यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर उम्मीद, जिंदा है, तो मन की शांति से लेकर, विश्वास, प्रेम, सब कुछ पाया जा सकता है। हो सकता है जिंदगी में ऐसा वक्त आए, जब आपका मन बिलकुल अशांत हो, लोग धोखा दे रहे हों! चाहे पूरी दुनिया पराई हो जाए, लेकिन कभी अपनी उम्मीद को, मरने मत देना। सिर्फ साढ़े 3 अक्षर का यह शब्द, बहुत बड़ा है। पूरी दुनिया, इसी पर कायम है।