आप बेशक, कुछ नेकी और पुण्य के काम करते होंगे, लेकिन क्या कभी आपके दिमाग में यह आया कि दूसरे क्यों नहीं कर रहे? एक समय की बात है, मक्का की यात्रा चल रही थी। करोड़ों श्रद्धालु, अलग-अलग समूह में, यात्रा कर रहे थे। उनमें से एक दल ऐसा था, जिसमें आधी रात को उठकर, प्रार्थना करेन का रिवाज था। एक दिन, आधी रात को एक बेटा, अपने पिता के साथ, प्रार्थना करने के लिए उठा।
उन्होंने प्रार्थना की, लेकिन दूसरे लोगों को सोता देखकर,- वो बेटा, अपने पिता से बोला- 'देखिए पिता जी, ये लोग कितने आलसी हें, न उठते हैं, न प्रार्थना करते हैं। पिता ने कड़े शब्दों में कहा- 'अरे बेटा। तू भी न उठता, तो अच्छा होता, जल्दी उठकर, दूसरों की निंदा करने से तो, न उठना ही ठीक था।
हम, अगर कुछ अच्छा करते हैं, तो उसका कर्मफल भी हमें ही मिलता है। लेकिन अगर दूसरों की बुराई और निंदा करते हैं, तो उसका पापफल भी हमें ही मिलेगा।