आपको क्या लगता है, क्या, कभी ज्ञान, आपका शत्रु बन सकता है? एक गांव में, 3 विद्वान थे। एक दिन वो तीनों, शहर जाने के लिए निकले। एक नाव में बैठे। उनमें से एक विद्वान ने नाविक से पूछा- क्या तुम पढ़े-लिखे हो। उस व्यक्ति ने कहा- नहीं, मुझे पढ़ना लिखना तो नहीं आता है, बस यह नाव चलाता हूं। यह सुनकर, वो विद्वान बोला- पढ़ाई लिखाई ना करके, तुमने अपनी जिंदगी बर्बाद कर दी है।
इतने में ही, दूसरा विद्वान बोला- क्या तुम्हें विज्ञान का पता है। वो नाविक बोलता है- नहीं। तब तीसरा विद्वान, घमंड में हंसते हुए बोला - जिस आदमी को न तो इतिहास का पता, न विज्ञान का, ऐसे व्यक्ति, धरती पर किसी काम के नहीं हैं। इतने में ही मौसम खराब हो गया और तेज बारिश होने लगी। नाविक ने, विद्वानों से पूछा- आपको तैरना, तो आता ही होगा। विद्वानों ने कहा- नहीं। इतने में ही, तेज तूफान से, नाव, पलट गई। नाविक, तैर कर, नदी किनारे पहुंच गया और वो तीनों विद्वान डूब गए।
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि ज्ञान और विद्या, दूसरों को नीचा दिखाने के लिए हर्गिज नहीं है। जब हम ज्ञान पर अभिमान करते हैं, तो वो हमारा शत्रु बन जाता है।