साल 1967 में मनोज कुमार की एक मूवी आई थी, जिसका एक गाना, आज के दिन की इंपॉर्टेंस के साथ बहुत relate कर रहा है। वो गाना महेन्द्र कपूर ने गाया था, और उस गीत के बोल हैं- मेरे देश की धरती, सोना उगले, उगले हीरे मोती.... मेरे देश की धरती। एक्चुअली आज, 5 दिसंबर है और आज World Soil Day मनाया जा रहा है। और जब मिट्टी की बात हो रही है, तो इंडियन फार्मिंग सेक्टर और फार्मर्स की बात करना जरूरी है। वर्ल्ड बैंक के डाटा के अनुसार भारत दूध, दालों और जूट के लिए दुनिया का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है, और देश के 70 percent rural households आजीविका के लिए एग्रीकल्चर पर डिपेंड करते हैं। सो, आज इस इंटरनेशनल डे पर, आइए, मिट्टी और हमारी लाइफ की कनेक्टिविटी के बारे में थोड़ा और जानें।
आज, दुनिया भर में तकरीबन 2 अरब लोग micronutrients की कमी से suffer कर रहे हैं। कारण- एग्रीकल्चर में फर्टिलाइजर का अंधाधुंध यूज, industrial, और commercial pollution से प्रदूषित हो रही मिट्टी। फर्टिलाइजर्स के हेल्थ और प्रोडक्शन में नुकसान को देखते हुए, भारत में जैविक खेती की मुहिम शुरू की गई है। देश में organic खेती बढ़ाने के लिए भारत सरकार भी, किसानों को सब्सिडी दे रही है। लेकिन सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2020 तक लगभग 2.78 मिलियन हेक्टेयर भूमि ऑग्रेनिक फार्मिंग के तहत थी, जो कि देश की टोटल एग्रीकल्चर लैंड का सिर्फ 2% है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि जैविक खेती की ओर, यह हमारी शुरुआती स्टेज है, लेकिन हां, अगर भारत ऑग्रेनिक खेती को अपनाता है, तो एनवायरनमेंट सुधरने के साथ-साथ लोगों को हो रही हेल्थ प्रोबल्म्ज भी कम होंगी। दुनियाभर के वॉलंटियर्स के काम को recognize and promote करने के लिए आज Economic and Social Development के लिए International Volunteer Day भी सेलिब्रेट किया जा रहा है। हमें उन सभी वॉलंटियर्स पर गर्व है, जो बिना किसी सेलफिश रीजन के पूरी दुनिया के वेलफेयर के लिए काम कर रहे हैं। ये वॉलंटियर हमारी inspiration और रोल मॉडल हैं, जो समाज और पर्यावरण को बचा रहे हैं। दुनियाभर में 15 साल या इससे ज्यादा एज ग्रुप के 862.4 मिलियन वॉलंटियर हैं। सिर्फ फाइनेंशियल हेल्प नहीं, समाज सेवा नहीं है। आप किसी को सही रास्ता दिखा कर, उनके गाइड या मेंटर बनकर उनकी जिंदगियां बदल सकते हैं। लैक ऑफ अवेयरनेस और गाइडेंस की कमी भी हमारे समाज के पिछड़ने का एक बड़ा कारण है। ऐसे में, अपने आसपास के लोगों को एक साथ लेकर चलें। इकोनॉमिक साइकिल के बारे में आप भी जानते होंगे कि किसी एक व्यक्ति का एक्सपेंडिचर, दूसरे की इनकम है। जब लोगों की buying कैपेसिटी बढ़ेगी, तो खुद ब खुद, पर कैपिटा इनकम, इंडस्ट्रियलाइजेशन और रोजगार बढ़ेगा। यानी इकॉनॉमिक ग्रोथ। इसलिए, लोगों को अवेयर, उन्हें गाइड कर, कुछ अचीव करने में मदद करें। यही समाज और देश सेवा है।
आज ही के दिन 117 साल पहले यानी साल 1905 में 'शेर-ए-कश्मीर' नाम से मशहूर- शेख मोहम्मद अब्दुल्ला का जन्म हुआ था। National Conference के फाउंडर और जम्मू-कश्मीर की राजनीति में सेंट्रल रोल प्ले करने वाले, शेख मोहम्मद अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के तीन बार सीएम रहे। उन्होंने अपनी autobiography 'आतिशे-चिनार' नाम से लिखी और मरणोपरांत उन्हें इसके लिए 1988 में ‘Sahitya Akademi Award’ मिला। उनके बाद उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला तीन बार और उनके पोते उमर अब्दुल्ला एक बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने। चाहे SOIL कंजर्वेशन से एनवायरमेंट को प्रोटेक्ट करना हो, या फिर सोशल, इकोनॉमिक डेवलपमेंट से देश की ग्रोथ, 5 दिसंबर का दिन, भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए बहुत अहमियत रखता है। द रेवोल्यूशन-देशभक्त हिंदुस्तानी के साथ, मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि Volunteers का contribution priceless है, आइए एक नया भारत बनाने के लिए एकजुट हो जाएं। अगर हम चाहते हैं कि हमें फ्यूचर में भी, फूड मिलता रहे, तो nature ko बचाना होगा। यह वर्ल्ड Soil Day हमें याद करवा रहा है कि मिट्टी के बिना धरती पर भी, लाइफ पॉसिबल नहीं है। आइए वॉलंटियर बन कर इसकी रक्षा करें।