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World AIDS Day This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

World AIDS Day

एचआईवी। आप इसके बारे में कितना जानते हैं। क्या आपने भी कभी किसी एचआईवी पॉजिटिव पर्सन के साथ हाथ मिलाने, खाना खाने में हिचकिचाहट फील की है। या फिर आप में से भी कोई ऐसा पेशेंट है, जिसे लोगों के ऐसे अजीब और irrelevant बिहेवियर के कारण अनकंफरटेबल और बुरा महसूस हुआ हो। No doubt, हर कोई एचआईवी जैसी बीमारी से बचना चाहता है, लेकिन क्या आपको लगता है कि आप एचआईवी फोबिया से ग्रसित हैं। एचआईवी के साथ जीना, एचआईवी स्टिग्मा, मंकीपॉक्स, HIV Transmission, इसके लक्षण, इसे कैसे रोका जा सकता है? क्या ऐसे सवाल, आपको भी परेशान कर रहे हैं। अगर हां, तो हमारी यह वीडियो अंत तक जरूर देखें। आज 1 दिसंबर है, और हर साल की तरह आज World AIDS Day मनाया जा रहा है। इस दिन की हिस्ट्री की बात की जाए, तो यह पहली बार 1988 में मनाया गया था। इस साल, इसका थीम “Equalize” रखा गया है, जिसका उद्देश्य ट्रांसजेंडर लोगों, ड्रग्स users, सेक्स वर्कर और जेल में बंद लोगों और खासतौर पर बच्चों तक जरूरी एचआईवी सर्विसेज पहुंचाना है। World Health Organization के अनुसार इस पेंडिमिक शुरुआत के बाद से, दुनियाभर में 84.2 मिलियन लोग एचआईवी वायरस से संक्रमित हुए हैं और लगभग 40.1 मिलियन लोग एचआईवी से मर चुके हैं। 15-49 साल की उम्र के लगभग 0.7% adults एचआईवी के साथ जी रहे हैं, वहीं अफ्रीकी देशों में हर 25 adults में से लगभग 1, एचआईवी पॉजिटिव है। शायद आपको पता हो, कि साल 1987 में पहली एंटीरेट्रोवायरल ड्रग्स AZT यानी zidovudine एचआईवी के इलाज के लिए उपलब्ध पहली दवा थी।

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एचआईवी, एक ऐसा वायरस, जो एड्स यानी ''एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम'' को जन्म देता है। एचआईवी का पहला केस साल 1981 में यूएसए में देखा गया था और इसके 3 साल बाद यानी, साल 1984 में, साइंटिस्ट्स को यह पता चला कि यह बीमारी एचआईवी नामक वायरस से होती है। भारत की बात करें, तो देश में एचआईवी इन्फेक्शन पहली बार 1986 में चेन्नई में महिला सेक्स वर्कर में पाया गया था। आज, सबसे ज्यादा एचआईवी और एड्स से पीड़ित लोगों के साथ साउथ अफ्रीका के बाद, भारत दूसरे नंबर पर है। बहुत से लोगों को यह भ्रम है कि एड्स सिर्फ सेक्स से फैलता है, लेकिन यह breast फीडिंग, सीरिंज, ब्लेड और blood से भी फैल सकता है। इतना ही नहीं, प्रेगनेंसी के दौरान मां से उसके बच्चे को भी एचआईवी हो सकता है। यूनिसेफ के डाटा की बात करें, तो अकेले 2020 में, 10 से 24 साल की उम्र के 4 लाख से ज्यादा youngster एचआईवी पॉजिटिव थे, जिनमें से 1.5 लाख 10 से 19 साल के थे। अगर आपको भी ऐसा लगता है कि एचआईवी पॉजिटिव पेशेंट के गले मिलने, उसके साथ खाना खाने और उसके द्वारा यूज किए गए टॉयलेट का यूज करने से एचआईवी फैलता है, तो ऐसा बिलकुल नहीं है। एचआईवी पेशेंट्स को स्टिग्मा न समझें, क्योंकि डर, निराशा और शर्म के कारण लोग एचआईवी टेस्टिंग और इलाज को अवॉयड करते हैं। और इसी वजह से यह बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है।

इसके लक्षणों की बात करें, तो शुरुआत के कुछ हफ्तों में एक एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को फ्लू जैसे सिम्टम दिखेंगे, जैसे बुखार, सिर दर्द, चकत्ते, गला खराब होना आदि। जैसे-जैसे इन्फेक्शन बढ़ती है, उस व्यक्ति का immune system weak होने के अलावा weight loss, Cough, Diarrhoea जैसी दिक्कतें होती हैं। एड्स ऐसी बीमारी है जो ठीक नहीं हो सकती, लेकिन एक प्रोपर मेडिकेशन, इसे कंट्रोल जरूर कर सकती है। एचआईवी के सिमटम दिखें, तो बेझिजक डॉक्टर से संपर्क करें। आपका एक कदम, आपके पूरे परिवार को सुरक्षित कर सकता है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप क्या चूज करते हैं - अपनों की सेहत या फिर समाज से बेमतलब का डर। अगर मंकीपॉक्स की बात की जाए, तो यह सिर्फ पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों की बीमारी नहीं है, लेकिन गंभीर इम्युनोकॉम्प्रोमाइज वाले लोगों को मंकीपॉक्स, या यहां तक कि मौत का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, आपको लगता है कि आप एड्स फोबिया से ग्रसित हैं, तो सबसे पहले अपने पार्टनर और डॉक्टर से बात करें, ताकि आप बिना किसी डर के एक खुशहाल जिंदगी जी सकें। एचआईवी के बारे में खुलकर बात करना, हमें इसे समझने और कम करने में हेल्प करेगा। एचआईवी के बारे में अपनी मैंटालिटी बदलें। "एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब यह नहीं है कि आपकी जिंदगी रुक गई है। आप अब भी, अपनी लाइफ अपने तरीके से जी सकते हैं और अपने सपनों को पा सकते हैं।