शाम को जैसे ही मिस्टर त्रिपाठी, घर पहुंचे। उन्होंने देखा- आनंद और कंचन में, जबरदस्त बहस हो रही है। उन्होंने कारण पूछा, तो दोनों एक-दूसरे पर इलजाम लगा रहे थे कि तुमने चीटिंग की है। उन्होंने बच्चों को लड़ने से रोक दिया। और ईमानदारी की अहमियत बताने के लिए एक कहानी सुनाने लगे। कहने लगे- एक कारपेंटर जब रिटायर होने वाला था, तो उसके ठेकेदार ने उसे एक घर गिफ्ट करने का सोचा। और उसे, घर बनाने को बोला। कारपेंटर थोड़ा दुखी हुआ, सोचने लगा कि 15 दिन में रिटायरमेंट है, और अब भी काम करवा रहे। लेकिन, फिर भी उसने ठेकेदार की बात मान ली और घर बनाना शुरू किया।
बिना मन के, उसने जल्दबाजी और लापरवाही से, घटिया मैटिरियल इस्तेमाल किया। जब काम पूरा हुआ, तो ठेकेदार ने, घर की चाबी कारपेंटर को दी और कहा- "यह तुम्हारा घर है," मेरी तरफ से रिटायरमेंट का उपहार।" ये देखकर कारपेंटर खुश था, लेकिन शर्मिंदा भी। क्योंकि उसने जो खराब क्वालिटी का घर बनाया, उस घर में, अब उसे खुद ही रहना था। ये कहानी हमें सिखाती है कि चाहे अपना काम कर रहे हों, या दूसरों का, हमेशा ईमानदारी से, अपना 100 परसेंट दें।