‘‘हिंदू होने पर क्यों न गर्व करू’’! इस सवाल का जवाब भी भगवत गीता है! गीता में कहा गया है कि गर्व हमें, जिस सवारी पर ले जाता है, उसका शुरू और अंत दोनों ही खतरनाक हैं! गर्व, अहंकार की शुरुआत है! इसलिए, इस मालिकाना और श्रेष्ठता के विचार से इतर, हम हिंदू धर्म के यथार्थ और इसकी सत्यता की बात करेंगे! हिंदू धर्म, एक ऐसा धर्म है, जिसने दुनिया को एक होना सिखाया, जिस धर्म ने मानवता में विश्वास करना सिखाया, जो धर्म हर किसी के लिए सम्मान की भावना रखता है और जिस धर्म ने पूरी दुनिया को ‘‘एक परिवार’’ मानने का संदेश दिया! यह एक ऐसा धर्म है, जो न सिर्फ मनुष्य, बल्कि जीवित प्राणी से लेकर पेड़ों, नदियों और पूरी प्रकृति का सम्मान और उनकी पूजा करता है! 10 हजार साल पुरानी वैदिक परंपरा और हिन्दू धर्म, की धार्मिक पुस्तकें- रामायण, श्रीमद भगवत गीता, महाभारत, पुराण और उपनिषद, में जीवन की हर समस्या का समाधान है! रामायण के चरित्र, हमें यह समझाते हैं कि हर इंसान में पॉजिटिव और नेगेटिव क्वालिटी मौजूद हैं! पॉजिटिव या नेगेटिव दोनों में से क्या चुनना है, यह हम पर निर्भर करता है! जैसे, सबसे ज्ञानी होने के बावजूद, रावण ने भी अहंकार को चुना! रामायण ने दुनिया को ‘‘माफ करने’’ का संदेश दिया है! यानी जिसमें दूसरों को माफ करने की क्वालिटी है, उसमें ईश्वर की सोच और उसके विचार है! किसी के कर्म और विचार गलत हो सकते हैं, लेकिन कोई भी इन्सान बुरा नहीं होता! किसी ने हमारे साथ गलत किया, तो हम हमेशा रिवेंज और गुस्से से भरे रहते हैं! ऐसे में किसी को माफ करके हम, खुद को आजाद करते हैं, खुद पर एक उपकार करते हैं, जिसकी वजह से हम, जीवन में, आगे बढ़ पाते हैं!
हिंदू धर्म, हर जीव, हर प्राणी की खुशी और कल्याण के लिए काम करना सिखाता है! कृतज्ञता में विश्वास, इस धर्म, को महान बनाता है। हम सूर्य की पूजा करते हैं! हम पीपल, नीम, तुलसी सहित कई पेड़ों और नदियों की पूजा करते हैं! इसमें कोई अंधविश्वास नहीं है! इन प्राचीन प्रथाओं का कारण कृतज्ञता का भाव है! सूरज, के बिना हमारी जिंदगी संभव नहीं है और जो एनर्जी और लाइफ सूर्य हमें देता है, हम उसका आभार प्रकट करने के लिए, उसके आगे सिर झुकाते हैं! पेड़-पौधों की वजह से हम जीवित रह पा रहे है और इसी का ग्रैटिट्यूड पे करने के लिए हम, इनकी पूजा करते हैं! नदियां या पानी हमारा जीवन है, इसलिए इस बहते पानी का हम सम्मान करते हैं, उन्हें पूजते हैं! हिंदू धर्म प्रकृति को माता मानकर पूजता है, इसमें कोई पैराडॉक्स नहीं है! वास्तव में प्रकृति के बिना, हम जिंदा नहीं रह सकते, और हम लौटाने में विश्वास रखते हैं! इसलिए, इसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए, हम इसे प्रणाम करते हैं! कोई हमारे लिए कुछ करता है, चाहे वो कोई मनुष्य, जानवर या कोई भी चीज हो, वापस लौटाना हमारा बेसिक एटिकेट है! इसलिए, हमारे धर्म में 33 कोटि देवी-देवताओं का जिक्र किया गया है, क्योंकि हम हर चीज में भगवान का वास मानते हैं। इस धर्म में कोई बंधन नहीं है, आप, भगवान की किसी भी रूप में, पूजा करने के लिए आजाद है!
ध्यान, ज्ञान, कर्म, प्रेम और भक्ति ही, एक आदर्श चरित्र का रास्ता हैं! अतिथि देवो भव का सिद्धांत, इसी हिंदू धर्म से जन्मा है! ‘तैत्तिरीयोपनिषद’ का अतिथि देवो भव, मातृ देवो भव और पितृदेवो भव श्लोक, हमें माता-पिता और मेहमान को पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ स्वीकार और उनका सम्मान करने का संदेश देता है और उनके हर एक कार्य, त्याग और निस्वार्थ प्रेम के लिए उनके आगे झुक कर, उनका धन्यवाद करना सिखाता है! सोचने की बात है, दुनिया में कई धर्म हैं, लेकिन हम में से हर किसी को, भगवान ने किसी स्पेसिफिक परिवार में जन्म दिया है, जो किसी खास धर्म से बिलॉन्ग करता है! इसलिए इस ऑपरच्यूनिटी के लिए हम, भगवान का धन्यवाद करते हैं! द रेवोल्यूशन- देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से, मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि भले ही, हम कट्टर हिंदू कहलाने में प्राउड फील करते हैं, लेकिन हिंदू धर्म, टॉलरेंस, धैर्य और उदारता का पर्याय है! यह उस विश्वास की नींव है, जो सारी सृष्टि को अनुराग, प्रेम और भक्ति तुल्य समझता है! हर दूसरे धर्म के ईश्वर से लेकर, हर इंसान और हर चीज के लिए Gratitude रखना और उन्हें अपनाना ही, हिंदू धर्म है!