शहर के बीचों बीच, एक बाजार और उसके साथ ही, एक पार्क लगता है। रोजाना शाम को, यहां बच्चों की बहुत भीड़ होती है। यहां एक फेमस गुब्बारे वाला है। वो इसलिए प्रसिद्ध है, क्योंकि उसका गुब्बारे बेचने का, तरीका बहुत अनोखा है। जब भी उसका कारोबार, मंदा हो जाता, वो - एक हीलियम से भरे, गुब्बारे को हवा में छोड़ देता था। जब बच्चों की नजर, हवा में उड़ते उस रंगीन गुब्बारे की ओर जाती, तो सभी बच्चे गुब्बारा लेने की जिद्द करते। मजबूरन, उनके माता-पिता को, उन्हें एक गुब्बारा खरीदकर देना पड़ता। और उसकी बिक्री बढ़ जाती। एक दिन आनंद और उसके दोस्तों की टोली, गुब्बारे वाले के पास पहुंच गई। गुब्बारे वाले ने उससे पूछा, “तुम्हें कौन से रंग का गुब्बारा चाहिए?” उनमें से एक- मासूम छोटे लड़के ने, हवा में उड़ते हीलियम से
भरे गुब्बारे की ओर देखा और पूछा, "अगर आप एक काले रंग का गुब्बारा छोड़ते हैं, तो क्या वो भी उड़ जाएगा?" गुब्बारे वाला मुस्कुराते हुए कहने लगा- "गुब्बारा, अपने रंग की वजह से नहीं उड़ रहा है, जो इसके अंदर हवा भरी है, ये उसकी वजह से उड़ रहा है। चाहे इसका रंग कुछ भी हो। हमारा विश्वास, अच्छा स्वभाव और नजरिया ही, हमें ऊपर उठाता है। बाहरी नहीं, बल्कि हमारी जो आंतरिक सुंदरता है, वो मायने रखती है।