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What is animal care and why is it important? This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

What is animal care and why is it important?

खास लम्हे के आज के एपिसोड में हम बात करेंगे, एनिमल वेलफेयर यानी जानवरों की देखभाल के बारे में। पशु, पृथ्वी की विविधता का एक अभिन्न हिस्सा हैं। गाय, कुत्ता और बंदर जैसे कई जानवर, हम अपने आसपास तकरीबन रोज देखते हैं! अक्सर चिड़ियाघर में जंगली जानवरों को देखने के लिए जाते हैं। लेकिन क्या हर जानवर को उचित आवास और जरूरत पड़ने पर, सही मेडिकल केयर मिल पा रही है? पशु कल्याण में कई चीजें शामिल हैं, जैसे कि कोई जानवर किस हालात में है, उसका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, आवास, पोषण और जिम्मेदार देखभाल आदि। मतलब वो जानवर स्वस्थ, आरामदायक, जिंदगी जीने में सक्षम है, या फिर दर्द, डर और संकट की परिस्थितियों में तो नहीं है। क्योंकि दुनिया भर में बहुत सारे जानवर ऐसे हैं, जो मनोरंजन, भोजन, चिकित्सा, फैशन और वैज्ञानिक उन्नति के लिए उपयोग होने की वजह से वो पीड़ित हैं। हम मनुष्यों के अलावा, और भी कई जीव-जंतु, वनस्पतियां हमारे साथ प्रकृति को साझा कर रही हैं। जानवर, मनुष्य का कल्याण सुनिश्चित करते हैं, जैसे गाय से हमें डेयरी प्रोडक्ट मिलते हैं, कुत्ता हमारी और हमारे घर की सुरक्षा के साथ-साथ हमारे साथ मौज मस्ती करने वाला साथी बन जाता है। वास्तव में एक पशु पालना, सबसे सुखद अनुभवों में से एक है।

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अगर भारत की बात करें, तो यह हर किसी के साथ सह-अस्तित्व से रहने वाला देश है। सदियों से, यहां लोग, जानवरों के साथ भी मिलजुलकर रहते आए हैं, एक-दूसरे की देखभाल करते रहे हैं। वास्तव में हमारे धर्म, हमें प्रकृति के स्पर्श में रहना और उसका सम्मान करना सिखाते हैं। उस समय लोगों की यह सोच थी कि यदि हम जानवरों की देखभाल करेंगे, तो जानवर भी हमारी देखभाल करेंगे।" और आज भी यही दृष्टिकोण मायने रखता है। लेकिन, पिछले कुछ सालों से, देश में जानवरों के प्रति क्रूरता देखने को मिल रही है। उनके साथ दुर्व्यवहार के अलावा, कई बार कुछ लोग जानबूझकर जानवरों को यातनाएं देते हैं, उन्हें पीट कर अपाहिज बना देते हैं, जिससे कई बार उनकी मौत तक हो जाती है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन के सर्वे के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। उस रिपोर्ट के अनुसार साल 2010 और 2020 के बीच 4 लाख से ज्यादा जानवर, मनुष्यों के अपराध के शिकार बन चुके हैं। और इनमें से तकरीबन अढ़ाई हजार जानवरों के साथ, लोगों ने अपने मनोरंजन या किसी और कारण से जानबूझकर हिंसा की थी, जिसके चलते उन जानवरों की मौत हो गई। इस बात में कोई शक नहीं है कि जानवरों के खिलाफ क्रूरता को, भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और धारा 429 के तहत एक दंडनीय अपराध माना गया है और सरकार व प्रशासन उसे लागू करने की भी पूरी कोशिश करता है।

उदाहरण के तौर पर कोविड 19 महामारी का दौर लेते हैं! वो सिर्फ इंसानों के लिए नहीं, बल्कि जानवरों के लिए भी बहुत मुश्किल था। एक तरफ जहां, लोगों के घरों में कैद होने से, आवारा और जंगली जानवर, भूखे-प्यासे मरने लगे थे, वहीं कई लोग ऐसे थे, जिन्होंने निराधार और अवैज्ञानिक विश्वास के कारण अपने पालतू जानवरों को मरने के लिए बाहर छोड़ दिया था। उस वक्त ज्यादातर लोगों को यह कहते हुए सुना जा सकता था कि पालतू जानवरों से भी कोरोना होने का खतरा है। चलिए मान भी लेते हैं कि जानवरों में वायरस को ट्रांसमिट करने की संभावना ज्यादा थी, लेकिन, क्या हमारे अपने परिवार में किसी को कोविड होने पर हमने उनकी देखभाल करना छोड़ दिया और उन्हें बेघर किया? बिलकुल नहीं! अपनों के लिए हम, अंत तक लड़ते रहे। उस बुरे वक्त में, वो जानवर भी मनुष्य से इसी मानवीय व्यवहार की अपेक्षा कर रहे थे। हालांकि कौन-कौन जानवरों की उम्मीदों पर खरा उतर पाया, यह तो आप सब खुद ही जानते होंगे। एक किसान, पशुपालन, एक वेटरिनरी डॉक्टर, पशु वैज्ञानिक और चिड़ियाघर या वन्यजीव पार्कों के रखवाले, जानवरों की समस्याओं, उनके दर्द को अच्छे से समझते हैं, और उनकी परेशानियों और चुनौतियों को कम करने की भी कोशिश करते हैं। लेकिन, भाग्यशाली होते हम, अगर हर कोई उनके प्रति सहानुभूति रखता। सहानुभूति के अलावा, देश में एक ऐसे बुनियादी ढांचे की भी जरूरत है, जो पशु कल्याण में मदद कर सके। सरकार ने, लगभग हर राज्य में जानवरों के लिए, आश्रय स्थल बनाए हैं, लेकिन कई बार, उन आश्रय स्थलों में भी बीमारी के चलते सैकड़ों जानवरों की मौत की खबरें सुनने को मिलती हैं। इसलिए जानवरों के लिए बनाए गए सरकारी आश्रय स्थलों में कुशल कर्मियों के साथ-साथ, पैरा-वेटरिनेरियन की जरूरत है। हर कोई एक अच्छा जीवन पाने का हकदार है, जानवर भी। आइए हम एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण करने का प्रयास करें, जो सभी प्राणियों के प्रति दयालु और सौम्य हो।