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खुश रहने का तरीका This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

खुश रहने का तरीका

एक दिन, आनंद के पापा, पार्किंग में गाड़ी पार्क करके, जैसे ही ऑफिस के अंदर जा रहे थे, एक सिक्योरिटी गार्ड, भागकर उनके पास आता है। और कहता है- साहब, आपका ये पर्स गिर गया था। आनंद के पापा ने देखा- तो सच में, वो उन्हीं का पर्स था। असल में, गाड़ी से निकलते वक्त, उनकी पॉकेट से नीचे गिर गया था। उन्होंने शुक्रिया कहा। गार्ड की ईमानदारी देखकर, 500 रुपए का नोट निकालकर, उसे देने लगे। लेकिन उसने लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा- तुम्हें, बहुत कम पैसे मिलते होंगे, इसे रख लो, तुम्हारे काम आएंगे। इस पर वो गार्ड कहता है कि - नहीं, मुझे जो सैलरी मिलती है, वही मेरे लिए काफी है।

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वो उसे कहते हैं कि - सिर्फ 12 हजार रुपए, तुम्हारे लिए कैसे काफी हैं। वो कहने लगा- मैं, इन पैसों को 4 बराबर हिस्सों में बांटकर, एक हिस्से को कुएं में डालता हूं। दूसरे से, उधार चुकाता हूं, तीसरे से उधार देता हूं और चौथे हिस्से को-मिट्टी में गाड़ देता हूं। उन्हें, गार्ड की ये बात, समझ नहीं आई। इसलिए मतलब पूछने लगे। तब वो कहता है- 3 हजार रुपए, कुएं में डालता हूं- यानी अपने परिवार का पेट भरता हूं। 3 हजार से उधार चुकाता हूं- यानी माता-पिता की सेवा में लगाता हूं। 3 हजार उधार देता हूं- यानी कि अपने बच्चों की शिक्षा में खर्च करता हूं और बाकी 3 हजार रुपए, मिट्टी में गाड़ देता हूं- यानी सेविंग करता हूं, ताकि जिंदगी में आगे मुश्किल आए, तो मुझे किसी से उधार न लेना पड़े।