सोल मेट्स, लव एट फर्स्ट साइट और सच्चा प्यार, क्या समझते हैं आप इसे? सदियों पहले एक राजकुमार या यूं कहें कि मेरे प्रभु राम ने राजा जनक के राज्य विदेह में, माता सीता को पहली बार देखा और एकटक देखते रह गए। लव एट फर्स्ट साइट और सच्चे प्यार का इससे बड़ा एग्जांपल और क्या हो सकता है। रामायण के उन पलों की बात करें, तो हमारे प्रभु राम ने प्यारी सीता को, दुनिया की सभी चीजों से परे, सबसे ज्यादा प्यार करने का, खुद के साथ एक वादा किया और उसे निभाया भी। इस तरह, एक लव-Arrange मैरेज, उस दौर में भी हुई थी। आज विवाह पंचमी है, यानी हमारे प्रभु राम और माता सीता की wedding anniversary। एक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम थे, जिन्होंने अपने प्रेम के लिए, एक पत्नीव्रत लिया था और उन्होंने अपने इस पत्नी धर्म को हमेशा निभाया भी। कुछ लोगों को confusion है कि भगवान राम की वजह से, गर्भवती सीता माता को आश्रम में रहना पड़ा था। लेकिन यह रिश्ता इतना पवित्र और समर्पित था कि सीता माता के लिए भी अपने पति धर्म से ज्यादा कुछ मायने नहीं रखता था। भगवान राम राजा थे, और माता सीता नहीं चाहती थीं कि प्रजा के लिए राम की निष्ठा और उनके सच्चे प्यार पर कोई सवाल न उठाए। सीता माता उनसे इतना प्यार करती थीं कि वो उन्हें किसी उलझन में नहीं देखना चाहती थीं। वहीं भगवान राम भी सीता को दूर करने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकते थे। और इसलिए माता सीता ने इस त्याग का निर्णय लिया।
अगर हम आज की बात करें, तो शादी और प्यार के बारे में, शायद हर किसी की परिभाषा अलग है। एक जमाना था, जब परिवार के बुजुर्ग या रिश्तेदार, शादी फिक्स करवाते थे। यह वो टाइम था, जब शादी, किससे के साथ हो रही है, यह भी शादी के बाद पता चलता था। खैर, धीरे-धीरे वक्त बदला और आज अरेंज मैरिज के लिए मैरिज ब्यूरो आगे आए हैं, वहीं लव मैरेज करके हमारे यंगस्टर्स खुद अपना जीवनसाथी चुन रहे हैं। जो भी हो, शादी का पवित्र बंधन आज भी गृहस्थ जीवन की उस अहमियत को दिखाता है, जहां प्यार, समर्पण और compassion न सिर्फ 2 लोगों, बल्कि 2 परिवारों को आपस में जोड़कर रखता है। आपके ख्याल से विवाह की परिभाषा क्या है? धूमधाम से हुई एक बड़ी सेलिब्रेशन में दूल्हा-दुल्हन का एक होना या 1, 2 गवाहों की मौजूदगी में चंद रुपए खर्च करके की गई कोर्ट मैरेज? ट्रेडिशनल तरीके से की गई शादी या फिर घर परिवार छोड़कर या परिवार की रजामंदी से की गई लव-अरेंज मैरिज? जिंदगी भर सुख-दुख में साथ निभाने वाले एक हमसफर का मिलना, या फिर विवाह के लिए समाज का एक रिवाज? क्या एक मंगलसूत्र और सात फेरे- शादी है, या फिर 2 आत्माओं का मिलन शादी है?
प्यार ही इस रिश्तों का आधार है, लेकिन प्यार है क्या? शाहरुख का एक डायलॉग तो आपने सुना ही होगा- ''हम 1 बार जीते हैं, 1 बार मरते हैं, शादी भी एक बार होती है और प्यार, वो भी 1 बार होता है...।'' जब आप, अपने हमसफर से प्यार करते हैं, तो आप हमेशा अपनी जरूरतों से पहले, उन्हें जगह देंगे। यानी समर्पण ही प्यार है। प्यार वो exciting और comforting moment है, जो आपको Internal peace और खुशी देता है। अगर आपके साथ कोई प्यार करता है, तो वहां पर हमेशा इमोशन, स्पोर्ट और केयर होगी। Acceptance ही true love है। अगर अपने पार्टनर के साथ, आपका रिश्ता भी ऐसा है, तो आप सच में खुशनसीब हैं। सच्चा प्यार हमेशा ऑनेस्ट होगा, और जहां धोखा है, वो डेफिनेटली प्यार नहीं। क्या आप भी अपने पार्टनर से राम सीता जैसा प्यार करते हैं? क्या आप दोनों में भी ऐसी बाँडिंग और understanding है कि बिना कुछ कहे आप एक-दूसरे को समझ लेते हैं? क्या आप अपने पार्टनर से एक पत्नीव्रत या एक पतिव्रत का वादा कर सकते हैं, और उसे जिंदगी भर निभा सकते हैं? द रेवोल्यूशन -देशभक्त हिंदुस्तानी के साथ मैं, विवाह पंचमी के इस अवसर पर आपसे सिर्फ यही कहना चाहूंगी कि शादी के तरीके चाहे कुछ भी हों, लेकिन यह, जिंदगी के सफर का वो वादा है, जो आप अपने पार्टनर की खुशी के लिए करते हैं। आपके हमसफर का वो साथ है, जो आपके हर सुख-दुख को अपना लेता है। वो बंधन है, जो तमाम रिवाजों या फिर अपने पार्टनर की उम्मीद में बंधकर, भी अपनी खुशी तलाश लेता है और वो इमोशन है, जो न सिर्फ अपने साथी, बल्कि पूरे परिवार को अपना लेता है।