आखिर क्यों, ज्यादातर लोग, अपनी पूरी क्षमता का प्रयोग नहीं कर पाते? आनंद और कंचन, शहर में पले-बड़े थे, तो अपने पिता से, अक्सर गांव के बारे में पूछा करते थे। आज छुट्टी थी, इसलिए कोई काम ना होने की वजह से, उनके पिता, उन्हें कुछ बता रहे थे। उन्होंने कहा, एक बार, हमारे गांव में, एक संत आए। और एक आदमी की कुटिया में रुक गए। संत ने उस आदमी को पूछा कि तुम क्या काम करते हो? उस आदमी ने कहा- मेरे पास एक गाय है। कुछ जमीन भी है, लेकिन लोग कहते हैं कि उस बंजर जमीन में फसल नहीं हो सकती। इसलिए यह गाय ही, मेरी आजीविका का जरिया है।
सुबह उठकर, संत वहां से चले गए। और जाते-जाते, उस आदमी की गाय भी ले गए। एक साल बाद, वो संत उस आदमी के पास दोबारा गए। उन्होंने देखा, वहां पर कुटिया की जगह, एक बड़ा मकान था, जिससे एक आदमी बाहर निकला। उस आदमी ने संत को पहचान लिया और बोला- अब से कुछ महीने पहले, आप मेरी कुटिया में आए थे। उस, दिन आप बिना बताए चले गए और मेरी गाय भी कहीं खो गई। मेरे पास कोई रास्ता नहीं बचा था। इसलिए मैंने अपनी जमीन पर मेहनत की और फसल बेचकर, पैसे कमाए। और अमीर हो गया। संत मुस्कुराए, क्योंकि वो उस आदमी को उसकी, असली ताकत का एहसास करवाने में कामयाब हो गए थे। हमारे पास भी बहुत सी चीजें और पोटेंशियल है। कहीं ऐसे ही, आपके पास भी, इस गाय की तरह तो कुछ नहीं है, जिसने आपको रोककर रखा है?