एक दिन सोसायटी में, एक बड़ा फंक्शन हुआ। कई तरह के कॉम्पिटीशन करवाए गए। बच्चे, बड़े, और बुजुर्ग, सब ने बहुत इन्जॉय किया। कई प्रतियोगिताओं के बाद, बेस्ट अचीवमेंट, आइकन अवार्ड और मोस्ट इंपायरिंग अवॉर्ड जैसे कई, अवॉर्ड दिए गए। बैस्ट कपल का अवॉर्ड कंचन के मम्मी-पापा यानी 'मिस्टर और मिसेज त्रिपाठी' को मिला। प्रोग्राम खत्म होने के बाद, सब घर लौट आए। बहुत थके हुए थे, लेकिन रोज की तरह, आनंद के पापा उसके साथ, लुडो खेलने लगे। क्योंकि उन्हें फैमिली टाइम की अहमियत का पता है। पहली गेम हुई, उसके पापा जीत गए, दूसरी गेम खेली, वो फिर से जीत गए। तीसरी
गेम भी, दोबारा वही जीत गए। रात काफी हो रही थी, तो उन्होंने आनंद को कहा- अब सो जाते हैं, नींद आ रही है। इसपर आनंद कहता है- खेल अभी खत्म नहीं हुआ, जब तक मैं जीत नहीं जाता। फिर से गेम शुरू हुई, आनंद हार गया। लगातार 10 बार हारने के बाद, अंत में वो जीत गया। और कहता है- चलो, खेल खत्म हुआ। अब सोते हैं। ये कहानी हमें सिखाती है कि हार न मानें, जीत जरूर होगी। चाहे आप, बार बार हार रहे हैं, लोग मजाक बना रहे हैं, तब भी, लड़ते रहें, जब तक आप जीत नहीं जाते।