19 साल बाद, ऐसा हुआ है कि सावन, 2 महीने रहने वाला है। इस बार सावन में 8 सोमवार आ रहे हैं। श्रावण का पवित्र महीना, हिंदुओं के लिए बहुत खास है। और खासकर, महादेव के भक्तों के लिए। सावन को लेकर शिव पौराणिक कथाओं की मानें, तो इस दिन भगवान शिव अपने ससुराल आते हैं। ये भी मान्यता है क जब समुद्र मंथन में, शिव ने, हलाहल विष को अपने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की थी। उस विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया था। इसलिए, आज भी, भगवान शंकर के भक्त, उन्हें जल अर्पित करते हैं। भक्तों का, भगवान शिव के प्रति इतनी श्रद्धा और विश्वास है, वो मीलों लंबी कांवड़ यात्रा करते हैं। कांवड़ एक तरह का लकड़ी या खासकर, बांस के पोल की तरह होता है। इसकी लंबाई आमतौर पर लगभग 5 से 6 फीट होती है। भक्त व्रत करते हैं और गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों से, कांवड़ में जल भरकर लाते हैं और शिव को अर्पित करते हैं।
भक्ति और श्रद्धा का ये महीना, मानसून के आगमन से भी जुड़ा है। मानसून की पहली बारिश, एक चित्रकार की तरह है, जो दुनिया को नया रंग देती है। चारों तरफ हरियाली, और रंग-बिंरंगे फूल। हवा में, गीली मिट्टी की खुशबू, कोमल दुलार से हमारी आत्मा की गहराइयों को छूती है। कठोर गर्मी के बाद, ये मानसून याद दिलाता है कि नई शुरुआत, विकास और जीवन की अनंत संभावनाएं, अभी खत्म नहीं हुई। ये इस बात का सबूत है, कि भले ही हमारे अंदर या बाहर, कितना ही तूफान क्यों न हो, जीवन के हर पहलु, को स्वीकार करना ही सुंदरता है।
सावन या मानसून के, हर किसी के लिए मायने अलग हैं। कुछ लोग, जिन्हें बारिश बहुत पसंद है, तो कुछ के लिए ये चाहत का मौसम है। कुछ खिलते फूलों, और प्रकृति के रंगों का आनंद लेते हैं, तो कुछ शौकीन लोगों के लिए, बारिश गर्म चाय और स्नैक्स का बहाना है। तो बच्चों के लिए मानसून, स्कूल से छुट्टियों का महीना है। जो भी हो, पूरी प्रकृति, मानसून का, खुली बाहों से स्वागत करती है। ये श्रावन मास, न सिर्फ श्रद्धालुओं, बल्कि समस्त मानवता के लिए, आशा, एकता और स्नेह लेकर आता है। द रेवोल्यूशन -देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से आप सभी को श्रावण की हार्दिक शुभकामनाएं। कामना करते हैं, कैलाशपति सदाशिव, समस्त मानवता का कल्याण करें।