इंडिया फिल्म इंडस्ट्री के ‘Thalaiva’ को आखिर कौन नहीं जानता। कल खास लम्हें की सीरीज में हमने एक eminent Indian एक्टर दिलीप कुमार की बात की थी और संयोग की बात है कि आज भी Shivaji Rao Gaekwad यानी इंडियन एक्टर रजनीकांत का बर्थडे है। संयोग इसलिए, क्योंकि दिसंबर के महीने में कई मशहूर एक्टर्स का जन्म हुआ है। इस वीडियो के जरिए, हम 1950 में बैंगलोर के एक मराठी परिवार में जन्मे रजनीकांत के फिल्मी करियर और पर्सनल लाइफ के बारे में जानेंगे, कि कैसे एक कुली, कारपेंटर और बस कंडक्टर का काम करने वाले रजनी, साउथ इंडियन मूवीज के ग्रीन परदे पर काम करते-करते बॉलीवुड और हॉलीवुड सुपरस्टार बन जाते हैं। ग्रीन परदे से याद आया, आज तो ग्रीन मंडे सेलिब्रेट किया जा रहा है, इसके नाम से आपको भी लगा होगा कि यह दिन एनवायरमेंट को डेडिकेटेड है, लेकिन ऐसा नहीं है! इसकी असलियत के बारे में जानने के लिए वीडियो में अंत तक हमारे साथ बने रहें। आज हम, इंडियन हेल्थ केयर से जुड़े कुछेक पहलुओं की भी बात करेंगे, क्योंकि आज वर्ल्ड लेवल पर यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे भी सेलिब्रेट किया जा रहा है। वीडियो में आगे बढ़ने से पहले, मैं एक सवाल आपसे पूछना चाहूंगी कि क्या आप हेल्थकेयर सिस्टम में ‘missing middle’ कांसेप्ट के बारे में जानते हैं।
सिल्क स्मिता के साथ Superstar के अफेयर की खबरों के बाद साल 1981 में रजनीकांत ने, लता पार्थसारथी से शादी की और उनकी दो बेटियां हैं, जिनका नाम ऐश्वर्या रजनीकांत और सौंदर्या रजनीकांत है। Padma Bhushan, Padma Vibhushan, Dadasaheb Phalke अवॉर्डी रजनीकांत, South Indian cinema के वो हीरो हैं, जो सिर्फ एक हाथ का यूज करके villains को हरा सकता है और हवा में multiple flips कर सकता है। B- आज का दिन हमारे लिए, एक और खास सेलिब्रेशन का मौका है। क्रिस्मस, साल की एंडिंग और नए साल की एक्साइटमेंट में हम बहुत बिजी रहते हैं। गिफ्ट्स और नए कपड़ों की शॉपिंग, के बिना यह सेलिब्रेशन बहुत फीकी है। डॉलर के ग्रीन कलर के कारण, आज का दिन यूएस में ग्रीन मंडे के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है, जो शॉपिंग का सिंबल है। सो इंडिया में अगर यह दिन सेलिब्रेट करना हो, तो आपके विचार से हमारी currency का कौन सा कलर, इस दिन के नामकरण के लिए सूटेबल रहेगा- margenta, Bright Yellow, chocolate brown या कोई और? C- दिसंबर की सर्दी और इस फेस्टिव सीजन में हेल्थ केयर और भी ज्यादा जरूरी हो जाती है और आज का दिन, खुद ब- खुद हेल्थ केयर सिस्टम की बात करता है। जून 2021 में नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अकॉर्डिंग देश की 50% पॉपुलेशन को आयुष्मान भारत योजना और 20% पॉप्युलेशन को social health insurance और private voluntary health insurance के अंडर कवर किया गया था। और शेष 30% पोपुलेशन वो है, जो न तो इतनी गरीब है कि सरकारी सब्सिडी वाली स्कीम के तहत आ सके और ना ही इतनी अमीर, कि किसी private health insurance को afford कर पाए। और इसी 30% पोपुलेशन को ‘missing middle’ कहा जाता है।
साल 2021-22 में भारत ने हेल्थकेयर पर अपने जीडीपी का सिर्फ 2.1% खर्च किया, जबकि जापान, कनाडा और फ्रांस public healthcare पर अपने जीडीपी का तकरीबन 10% खर्च करते हैं। और तो और, हमारे पड़ोसी देश, बांग्लादेश और पाकिस्तान भी हेल्थकेयर पर जीडीपी का 3% खर्च करते हैं। आयुष्मान भारत जैसी कई हेल्थ केयर कवरेज से इंडियंस को फायदा हुआ है, लेकिन आज भी तकरीबन 56 करोड़ लोग, ऐसे हैं, जिन्हें कोई इंशोरेंस या हेल्थ केयर कवरेज नहीं मिली है। Lack of Infrastructure, Shortage of Manpower, ज्यादा Patient Load और Large Out-of-Pocket Expenditure जैसी कई प्रॉब्लम के साथ-साथ मिसिंग मिडिल आबादी को हेल्थ इंश्योरेंस देने की जरूरत है, ताकि हर किसी को किफायती सर्विसेज, हेल्दी फूड और एनवायरनमेंट मिल सके। आपकी हेल्थ ही आपके जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है, जरूरी नहीं कि इसे खो कर ही, इसकी अहमियत को समझा जाए। द रेवोल्यूशन देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से मैं, सिर्फ यही कहना चाहूंगी कि अच्छी हेल्थ बाज़ार में कहीं नहीं मिलती, लेकिन सेहत को अच्छा रखने वाली तमाम चीजें बाजार में मिलती हैं। अगर आज आप शिक्षा और हेल्थ पर खर्च करते हैं, तो यह आपके फ्यूचर को सिक्योर करता है।