आनंद की छुट्टियां चल रही थी। दिनभर टीवी देखता, मस्ती करता, लेकिन पढ़ाई नहीं करता था। ये देखकर, उसके पापा ने उसे एक किस्सा सुनाया। कहने लगे- एक आदमी बहुत आलसी था। काम नहीं करता था, बीवी के बहुत कहने के बाद, वो एक दिन काम ढूंढने निकला। लेकिन, उसे किसी ने काम पर नहीं रखा। शाम को घर लौटते वक्त, सोचने लगा- अब बीवी का सामना कैसे करूंगा। तभी उसने गली में देखा, वहां एक सांप मरा पड़ा था। उसने वो उठाया और अपने घर के अंदर चला गया। पति के हाथ में सांप देखकर, वो पूछने लगी- ये क्या है। उसके पति ने कहा- आज मैंने काम किया, ये उसी का फल है। ये सुनकर, उसकी पत्नी ने, सांप को, फूलों की कियारी में फेंक दिया। और भगवान से हाथ जोड़कर कहने लगी- आज मेरे पति, पहली बार काम करने निकले थे। इसका कुछ तो फल, जरूर देना।
अगली सुबह, वहां से एक चील गुजरती है। उसके मुंह में हीरों का एक हार है। जब उसकी नजर सांप पर पड़ी, उसे उठाकर चली गई और हार को वहीं छोड़ दिया। कुछ देर बाद, पत्नी ने देखा- कि सांप वहां नहीं था। लेकिन एक हार पड़ा था। वो उसे उठाकर- अपने पति के पास ले जाती है। और कहती ये देखो- मैंने तो सिर्फ प्रार्थना की थी, भगवान ने सच में, तुम्हारे कर्म का, फल दे दिया। वो सोचने लगा- मैंने कुछ नहीं किया, तब भी ईश्वर इतनी कृपा कर सकता है, तो अगर मैं, काम करूंगा, तब कितना फायदा होगा। वो, जल्दी से, उस हार को बेच देता है। और जो पैसा मिलता है, उससे बिजनेस शुरू करता है। इस कहानी का सार सिर्फ यह है कि अगर पूरी ईमानदारी से अपना कर्म करेंगे, तो उसका परिणाम भी जरूर मिलेगा।