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National vaccination day This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

National vaccination day

समय था 15वीं शताब्दी का, जब पूरी दुनिया में एक जानलेवा वायरल बीमारी फैली- चेचक यानी स्मॉल पॉक्स। साल 1545 की बात है, जब भारत में भी इसके मामले देखे गए। उस वक्त इसे इंडियन प्लेग बोला गया। हम आपको बताना चाहेंगे कि चेचक दुनिया की पहली बीमारी थी, जिसकी वजह से वैक्सीन यानी टीके का आविष्कार हुआ था। आज 16 मार्च को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने के पीछे भारत सरकार के, 2 मकसद हैं। पहला हर बच्चे की वैक्सीनेशन और दूसरा- frontline हेल्थ केयर वर्कर्स की कड़ी मेहनत का सम्मान करना। वैक्सीनेशन का मकसद, किसी भी इन्फैक्शन को समाज से मिटाना है।

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वैक्सीनेशन या इन्जेक्शन की बात करें, तो इसका एक लंबा इतिहास रहा है! यह वो वक्त था, जब चेचक एक महामारी की तरह, बहुत तेजी से पूरी दुनिया में फैल रहा था। इसे रोकने के लिए, वैक्सीनेशन पर लगातार कई सालों तक रिसर्च चलती रही। दुनिया के कई हिस्सों में वैज्ञानिकों ने, जानबूझकर, स्वस्थ लोगों को स्मॉल पोक्स से इन्फेक्ट करके, उसकी वैक्सीन की टैस्टिंग की कोशिश की। ताकि इस बीमारी से छुटकारा मिल सके। ऐसे ही कई साल बीत गए। फिर साल 1796 में एक अंग्रेज चिकित्सक एडवर्ड जेनर ने चेचक के टीके का आविष्कार किया। बाद में फ्रांस के वैज्ञानिक- लुई पाश्चर ने इसमें कुछ बदलाव लाने की कोशिश की। लुई ने ही इसे वैक्सीन नाम दिया था। एक अनुमान है कि चेचक के पूरी तरह खत्म होने तक, लगभग 30 से 50 करोड़ लोग मारे जा चुके थे। अंग्रेजों के समय, भारत में लोगों को वैक्सीन देने के लिए कोई निश्चित नीति नहीं थी। लेकिन आज, भारत में बच्चों से लेकर महिलाओं तक, हर किसी को, कई बीमारियों से बचाव के लिए मुफ्त या रियायत पर टीके लगते हैं। ये टीके, निमोनिया से लेकर सर्वाइकल कैंसर तक, 20 से ज्यादा बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। वैक्सीनेशन का मतलब है- सुरक्षा। एक बच्चे के जन्म से लेकर 16 साल की उम्र तक,- खसरा, टेटनस, पोलियो जैसी 6 जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगते हैं।

कोविड 19 में, हर किसी को वैक्सीनेशन की अहमियत समझ आ गई थी, जब 100 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वैक्सीनेशन करवाई। लेकिन आज भी, देश में कई ऐसे पिछड़े इलाके हैं, जहां आम जनता में टीकाकरण को लेकर जागरुकता बढ़ाने की जरूरत है। भारत में बहुत से लोग टीकाकरण के महत्व को नहीं समझ सकते हैं, या उन्हें टीकों के बारे में गलत धारणाएं हो सकती हैं। कई बार, ऐसा भी देखने को मिला है कि टीकों और दवाइयों के बारे में लोगों को जानकारी ही नहीं मिलती। इसलिए, यह फ्रंट लाइन वर्कर्स की जिम्मेदारी है कि लोगों को, वैक्सीन के बारे में सही जानकारी दें। उन्हें अवेयर करें। उकने डाउट दूर करें। इसमें मीडिया एक अहम रोल निभा सकता है। वैक्सीनेशन को लेकर, अगर आप कुछ जानना चाहते हैं, तो अपने प्राइमरी हेल्थ केयर सेटर में जाएं। भारत की 130 करोड़ से ज्यादा आबादी को कवर करना एक चैलेंजिंग टास्क है। खुद अपने परिवार की हेल्थ की जिम्मेदारी समझें। याद रखें, वैक्सीनेशन के जरिए, आप अपने बच्चों को प्यार के साथ-साथ एक स्वस्थ जिंदगी दे सकते हैं, जिसके वो हकदार हैं।