साल 1974 मे, 18 मई, की सुबह, जब लोग आकाशवाणी पर फिल्मी गीतों का मजा ले रहे थे, तभी अचानक, एक अनाउंसमेंट होती है कि "आज सुबह पश्चिमी भारत के एक अज्ञात स्थान पर शांतिपूर्ण कार्यों के लिए भारत ने एक भूमिगत न्यूक्लियर टेस्ट किया है।" ये था- भारत का पहला परमाणु परीक्षण, जो थार मरुस्थल में पोखरण में हुआ था। इस दिन बुद्ध पूर्णिमा थी, इसलिए इसे Smiling Buddha कोड नाम दिया गया था। इसके लगभग 24 साल बाद भारत ने, दोबारा पोखरण में 11 और 13 मई 1998 को न्यक्लियर टेस्ट किए। अमेरिका, पाकिस्तान समेत कई देश, ये देखकर दंग रह गए। इस टेस्ट का नाम था ओपरेशन शक्ति। ये एक सीक्रेट मिशन था, जहां साइंटिस्ट कोड लैंग्वेज में बात करते थे। एक-दूसरे को सीक्रेट नाम से बुलाते थे। ये ऑपरेशन, डीआरडीओ के प्रमुख
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की लीडरशिप में, पूरा हुआ था। और आज, उसी दिन की याद में, हम सब- नेशनल टेक्नोलॉजी डे मना रहे हैं। यही नहीं, एक तरफ जहां, राजस्थान में परमाणु परीक्षण किया जा रहा था, तभी बेंगलुरु में भारत के पहले स्वदेशी विमान हंसा-3 उड़ान भरी थी। इस दिन को सेलिब्रेट करने की शुरुआत, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने की और पहली बार, इसे 11 मई, 1999 को मनाया गया था। डिफेंस टेक्नोलॉजी के सेक्टर में, आज भारत काफी आगे बढ़ चुका है। ब्रह्मोस मिसाइल, पिनाका, 'तेजस और आकाश मिसाइल सहित तमाम हाइपरसोनिक हथियारों से लेकर, क्रूलेस एरियल व्हीकल्स, तक ज्यादातर हथियार, देश में ही बन रहे हैं। आज, भारत 40 से ज्यादा देशों को 'हथियार' भी बेचता है। ग्लोबल पॉवर इंडैक्स के अनुसार, Indian defence sector चौथे रैंक पर है।
हर चीज के नेगेटिव और पॉजिटिव पहलू हैं। टेक्नोलॉजी को पॉजिटिव वे में, यूज करते हुए, भारत को अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर और इकोनॉमी को इंप्रूव करना चाहिए! और वक्त के साथ बदलते, ग्लोबल टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम के अनुसार, खुद को और बेहतर बनाने की जरूरत है। आज, नेशनल टेक्नोलॉजी डे पर, द रेवोल्यूशन देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से, हम उम्मीद करते हैं कि रेगुलेटरी संस्थान, एक ट्रांसपेरेंट और जवाबदेह सिस्टम बनाकर, आरएंडडी सेक्टर में एक रेवोल्यूशन लेकर आएंगे।