यूएन के अनुसार, दुनियाभर में, डिलीवरी के दौरान या फिर गर्भावस्था में कॉम्लीकेशन होने की वजह से, हर साल 3 लाख से ज्यादा महिलाओं की मौत हो जाती है। इसकी मानें, तो हर दिन लगभग 830 महिलाएं यानी लगभग हर 2 मिनट के अंदर, एक महिला की मौत। और उससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि इसमें से 17 प्रतिशत मौतें, भारत में होती हैं। यानी हर साल, लगभग 45 हजार। गर्भावस्था, प्रसव के समय या फिर प्रसव के तुरंत बाद, किसी महिला की मृत्यु, उसके परिवार और पूरे समाज के लिए एक त्रासदी है। गर्भावस्था में, एक महिला के शरीर में कई बदलाव होते हैं। ये बदलाव पूरी तरह से सामान्य हैं, लेकिन कई बार कुछ कॉम्लिकेशंस हो जाती हैं, जैसे बहुत ज्यादा ब्लीडिंग, हाई ब्लड प्रेशर, इन्फेक्शन और असुरक्षित गर्भपात।
हालांकि, भारत दुनिया का ऐसा देश है, जिसने आधिकारिक तौर पर, सबसे पहले राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस घोषित किया था। साल 2003 में, व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया की पहल पर, भारत सरकार ने 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाने का फैसला लिया। आज के दिन, महात्मा गांधी जी की पत्नी कस्तूरबा गांधी की जयंती भी है। डॉक्टर्स के अनुसार, डिलीवरी के समय, एक महिला को बीस हड्डियों के एक साथ टूटने जितना दर्द होता है। लेकिन नवजात बच्चे को अपनी बाहों में लेकर, वो उस दर्द को भूल जाती है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई महिलाओं और उनके परिवार के लिए, जन्म के ऐसे पल, डरावने हो जाते हैं।
हर महिला और उसके परिवार को यह समझने की जरूरत है कि एक स्वस्थ प्रेगनेंसी, गर्भधारण से पहले शुरू होती है और प्रसव के बाद, बच्चे और मां की पूरी देखभाल, उनके पोषण तक जारी रहती है। अच्छी हेल्थ केयर के साथ, इन मौतों को रोका जा सकता है। डब्ल्यू एचओ, खुद मानता है कि मैटरनिटी डेथ रेट को कम करने के लिए, किशोरों सहित सभी महिलाओं को गर्भनिरोधक और गर्भपात सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के साथ-साथ, अबोर्शन के बाद की क्वालिटी हेल्थकेयर मुहैया करवानी चाहिए। गर्भावस्था, एक नए जीवन की उम्मीद है, लेकिन डर और चिंता भी। आइए, आज National Motherhood Day पर, हर महिला के लिए, एक अच्छी डाइट से लेकर, वैक्सीनेशन सुनिश्चित करें। क्योंकि हर माँ, बिना किसी डर के, अपने नवजात बच्चे को, अपनी बाहों में लेने की हकदार है। और वो नवजात बच्चा, एक चमत्कार की तरह है, जो आपकी जिंदगी और आपके घर को खुशियों से भर देता है!