नेशनल इंटेग्रिटी की बात आती है, तो अपनी डायवर्सिटी की सेल्फ इंपोर्टेंस में भारत का सिर उस वक्त झुक जाता है, जब धर्म, जाति और क्षेत्रीय असमानताएं उसके सामने खड़ीहो जाती हैं। आज जब हम राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहे हैं, तो इन बंधनों से आजाद, एक अखंड भारत की कल्पना करना जरूरी हो जाता है। आज, देश की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी की 105वीं जयंती के साथ 19 नवंबर का यह दिन, एक बार फिर हमारे बीच आया है। और मानो कह रहा है कि यही एकता का वो सूत्रधार है, जो राष्ट्र की चारों दिशाओं में विश्वास, भाईचारे और सद्भाव की क्राफ्ट रिंग पर, अपने सतरंगी धागों से, भारत के डाइवर्स लोगों को एक करके, अखंड भारत बनाएगा! आज का दिन, भारत की तीसरी प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी को याद करता है, जो देश में कई बड़े सुधारों की जननी रहीं। हर किसी की तरह, इंदिरा प्रियदर्शनी ने भी, नेहरू से गांधी बनने तक, अपने जीवन के सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे। 19 नवंबर, 1917 को इलाहाबाद में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के घर में जन्मी इकलौती औलाद - इंदिरा प्रियदर्शनी ने, विश्व भारती और ऑक्सफोर्ड जैसे टॉप एजुकेशनल इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की, वहीं दुनिया भर की कई टॉप यूनिवर्सिटीज ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधियों से नवाजा। साल 1942 में फिरोज गांधी से शादी करने के बाद इंदिरा प्रियदर्शनी बन जाती हैं- इंदिरा गांधी। 1966 में इंदिरा गांधी, भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं और 11 साल के उनके कार्यकाल में, साल 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध जीतना, उनकी एक बड़ी उपलब्धि थी।
पुरुष स्वामित्व वाले दौर में इंदिरा गांधी का भारत की आयरन लेडी बनना, महिला सशक्तिकरण की नींव थीं। उन्होंने साबित कर दिया कि पढ़ाई-लिखाई और जज्बे के साथ, आधी आबादी भी देश को एक नई दिशा देने का सामर्थ्य रखती है। साल 1999 में, जहां एक ओर बीबीसी ने उन्हें "वुमन ऑफ़ द मिलेनियम" माना, वहीं इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि उनकी लीडरशिप में कई बड़े आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों के साथ भारत, साउथ एशिया का एक पॉपूलर देश बन गया था। जब महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है, तो हम आपको बताना चाहेंगे कि आज इंटरनेशनल मेन्स डे भी है, हालांकि, यहइंटरनेशनल वुमेन डे की तरह ज्यादा पॉपुलर नहीं है। यह दिन उस समर्पण, योगदान और बदलावों का जश्न मनाता है, जो अपने परिवार, कम्युनिटी और समाज में पुरुषों द्वारा लाए गए हैं। इंटरनेशनल मेन्स डे, को मनाने का मकसद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के साथ कॉम्पिटिशन करना नहीं है, बल्कि जेंट्स कम्युनिटी से जुड़े कुछ मुद्दों के बारे में आवाज उठाने के साथ-साथ उनके चरित्र और जिम्मेदारियों के प्रति हमें थोड़ा सोचने पर मजबूर करता है।
चलिए आप ही एक बात बताएं, क्या आपको पता है कि आपके पिता, भाई या फिर पति आज किन हालात में हैं? अकसर देखा जाता है कि बाहर, पूरी दुनिया से लड़ने की ताकत रखने वाला आदमी, अकसर परिवार के सामने उस वक्त टूट जाता है, जब उसे उनका साथ नहीं मिलता। आदमी भी उतने ही संवेदनशील हैं, जितनी महिलाएं, लेकिन हमारी सोसाइटी में एक मिथ जरूर है कि लड़कों को रोने का राइट नहीं, हां दूसरों की स्ट्रैंथ बनकर डटे रहना, तो उनकी जिम्मेदारी है। आपके परिवार का कोई आदमी कभी किसी वजह से पैसे नहीं कमा पाया, तो क्या आपने भी उन्हें लताड़ने की भूल तो नहीं की है? दिनभर अपनी जिम्मेदारियों का बोझ ढोते अकसर वो भी थक जाते होंगे, लेकिन चेहरे की शिकन को घर की एंट्रेस से बाहर छोड़कर आते हैं, सिर्फ आपके लिए। दुनियाभर में देखा भी गया है, कि महिलाओं की तुलना में, मेंटल स्ट्रेस और सुसाइडल टेंडेंसी पुरुषों में ज्यादा है। सो, आप आइडल मेन्स कम्युनिटी से भी एक दरख्वास्त है, प्लीज, अपनी प्रॉब्लम शेयर कर लिया करें,जब मन हो, रो लिया करें!आप लोगों का भी ज्यादा एक्सप्रेसिव होना गलत नहीं है। द रेवोल्यूशन - देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से हम, एक बातजरूर कहना चाहेंगे कि पुरुष हो या फिर महिला, हमें उनकी भावनाओं की इज्जत करनी चाहिए, Because they both are human being. चाहे वेलेनटाइन डे हो या फिर करवा चौथ, हर बार ये मेन्स कम्युनिटी आपके लिए कुछ खास करती है, तो इस इंटरनेशनल मेन्स डे पर आप, अपने पिता, भाई या फिर अपने हमसफर के लिए क्या स्पेशल कर रही हैं। कमेंट करके बताना न भूलें।आप सब को हमारी ओर से नेशनल इंटिग्रिटी डे और इंटरनेशनल मेन्स डे की बहुत-बहुत बधाई।