भगवान, हर जगह नहीं रह सकता, शायद इसलिए उसने मां बनाई। लेकिन शायद उसे भी, मालूम नहीं था कि उसके हाथ में जो जादू हैं, वो मां के पास आ जाएंगे। भगवान का, क्या काम था? प्रेम करना! लेकिन मां खुद ही, उस प्रेम और ममता का सागर बन गई। भगवान का काम था, सुरक्षा करना, ये भी मां ही करने लगी, बच्चों को हर बला से बचाने लगी। भगवान का काम था- बरकत देना, और वो भी, मां ने संभाल लिया। प्रेम और करुणा से भरा उसका हर स्पर्श, बच्चों की हर शिकन, हर दर्द को दूर कर देता है। तो उसकी शक्ति और हौसला ही है, जो बच्चों को, किसी गलत रास्ते पर जाने से रोक लेता है। कभी, उसके हाथ, हमारे लिए, तकिया बन जाते हैं, कभी, गिरने पर, सहारा। तो कभी अपने बच्चों को डांट-फटकार से
समझाती है। लेकिन, गलत और सही का फर्क समझाने के लिए, अपने ही अंश पर उठे उसके हाथ, खुद कितनी बार रोते हैं, शायद कोई नहीं समझ सकता। तारे जमीं पर और मदर इंडिया फिल्मों में, हमनें मां के किरदार में छिपी उन मजबूरियों को देखा है, जहां अपने ही बच्चों के भविष्य और उनकी जिंदगी के लिए, उन्हें खुद से दूर कर देती हैं। एक दोस्त की तरह, हमेशा एक राय देती है। कभी ये नहीं बोलती कि मेरी ही राय मानो। और शायद इसीलिए, बिना किसी झिझक या डर के, हम उसके साथ, खुलकर हर बात शेयर कर पाते हैं। पापा से ज्यादा पॉकेट मनी दिलवाना, कभी घर लेट आए, तो उनकी डांट से बचाना, मां के हाथ का खाना, कई ऐसी चीजें हैं, जो इस खूबसूरत रिश्ते को खास बनाती हैं।
यहां मां और पिता की तुलना नहीं है, एक सुकून का आंचल है, तो दूसरा हौसला और ताकत। मां गर्भ में पालना शुरू करती है, और उम्रभर, उसी ममता और प्रेम से, रिश्तों को सींचती है। जीवन देती है, उंगली पकड़ कर चलना सिखाती है, हर सही और गलत पे, रोकती है, डांटती है, फटकारती है, और फिर खुद ही मनाने आती है। बच्चों की खुशियों को, अपनी जिंदगी बना लेती है। मदर्स डे की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।