भारत को यूं ही त्योहारों का देश नहीं कहा जाता, यहां साल का हर दिन कुछ रस्मों-रिवाजों के साथ आता है! और आज मकर संक्रांति के साथ, भारत में, कहीं पूजा-पाठ और गंगा में स्नान करते धार्मिक लोग दिखेंगे, तो कहीं कटी पतंग के पीछे भागते बच्चे! ऐसा माना जाता है कि सूर्य देव की अपने पुत्र शनि से कभी नहीं बनी। लेकिन मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव, शनि के पास जाते हैं और अंत में उन्हें क्षमा कर देते हैं। और इसीलिए मकर संक्रांति पर बोला जाता है कि ‘‘तिल गुड खा, गुड गुड बोला’’, जिसका मतलब है कि पिछले झगड़ों को भूलाकर, दूसरों को माफ करें और उनके साथ अच्छे से पेश आएं! इस त्योहार को भारत में, अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे हरियाणा और पंजाब में इसे लोहड़ी, उत्तर प्रदेश में खिचड़ी, असम में माघ बिहू, बिहार में तिल संक्रांति, केरल में मकर विलक्कू, गुजरात में वासी उत्तरायण और पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में- पौष संक्रांति के नाम से जाना जाता है। प्रकृति पूजक इस देश में सूर्य और जल की पूजा का बहुत महत्व है! और मकर संक्रांति पर, इन्हीं दोनों को सम्मान देने की परंपरा है। संक्रांति यानी संक्रमण काल। इस दिन सूर्य अपनी राशि बदल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। यहीं से शीत ऋतु से कंपकंपाते लोगों को राहत की सांस मिलती है, क्योंकि सूर्य देव के उत्तर की ओर मूवेंट के साथ, दिन लंबे होने लगते है और सर्दी कम होने लगती है। यह त्योहार नई फसल का भी प्रतीक है, और इसलिए अग्नि देवता को नए अन्न का भोग लगाकर जश्न मनाया जाता है।
प्राचीन कथाओं की बात करें, तो इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के पास जाते है! ऐसा माना जाता है कि इस खास दिन पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाता है, तो उनके पुराने झगड़े खत्म हो जाते हैं! इसके अलावा एक और कथा भीष्म पितामह से जुड़ी हुई है, जिन्हें यह वरदान मिला था, कि उन्हें अपनी इच्छा से मृत्यु प्राप्त होगी! महाभारत में, जब वे बाणों की सज्जा पर लेटे हुए थे, तब वे उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे और उन्होंने इस दिन अपनी आखिरी सांस ली और इस तरह उन्हें इस खास दिन पर मोक्ष प्राप्त हुआ। यह दिन पूरे भारत के लिए सूर्य की रोशनी के साथ ताकत और ज्ञान लाता है! मकर संक्रांति का त्यौहार सभी को अँधेरे से रोशनी की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देता है और एक नए तरीके से काम शुरू करने का प्रतीक है! यह भी माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया था। कथा के अनुसार, राजा सगर अपने परोपकार व पुण्य कर्मों से तीनों लोकों में प्रसिद्ध हो गए थे! इस बात से देवताओं के राजा इंद्र को चिंता सताने लगी कि राजा सगर स्वर्ग पर ही राज ना करने लगे! और इसलिए जब राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया, तो इंद्रदेव ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा चुरा कर, उसे कपिल मुनि के आश्रम के पास बांध दिया! घोडे की चोरी की सूचना मिलते ही उनके 60 हजार पुत्र उसे खोजते हुए कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे, तो घोड़े को वहां पाकर, कपिल मुनि पर चोरी का आरोप लगाने लगे, जिससे क्रोधित होकर कपिल मुनी ने राजा सगर के सभी पुत्रों को श्राप से जलाकर भस्म कर दिया।
यह जानकर राजा सगर कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे और क्षमा प्रार्थना की तथा निवेदन किया कि वे उनके पुत्रों को क्षमा कर मोक्ष प्रदान करें! तब कपिल मुनि ने कहा कि मोक्षदायिनी गंगा ही, पृथ्वी पर आकर इन्हें मोक्ष दिला सकती है! तब सगर के पोते अंशुमन से लेकर राजा भगीरथ ने कठिन तपस्या से मां गंगा को प्रसन्न किया। लेकिन गंगा का वेग इतना ज्यादा था कि पूरी पृथ्वी नष्ट हो जाती! तब भोलेनाथ ने मां गंगा को अपनी जटाओं में से होकर आने की आज्ञा दी और इसी कारण शिव गंगाधर कहलाए। न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में यह पर्व मनाया जाता है! नेपाल में इसे मगही कहा जाता है, जबकि थाईलैंड में इसे सोंगक्रण नाम से मनाते है! म्यांमार, इसे थिन्ज्ञान नाम से जानते है, तो कंबोडिया में मोहा संग्क्रण नाम से मनाते है, वहीं श्रीलंका में, इस त्योहार को उलावर थिरुनाल कहा जाता है! पर्व एक है, सिर्फ नाम अलग हैं, लेकिन इसके पीछे छुपी भावना, सबकी एक है, और वो है शांति और अमन की! ये त्योहार आपके जीवन में भी खुशहाली लाए, इस कामना के साथ द रेवोल्यूशन- देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से, आप सभी को मकर संक्रांति की बहुत-बहुत शुभकामनाएं!