क्या आपने भी कभी वो सपना देखा था कि सफेद घोड़े पर बैठकर कोई राजकुमार आता है और आपको दुल्हन बनाकर अपने घर ले जाता है। अगर नहीं, तो इस फेयरी टेल को सुनकर, अपनी मैरिज या लव लाइफ के लिए कोई इमेजिनेशन तो जरूर की होगी। या फिर एक बढ़िया सी शेरवानी या सूट-बूट में रेडी होकर, सिर पर सेहरा बांधे, गाड़ी में सवार होकर, आप एक बड़े मैरेज हॉल में पहुंचते हैं और लाल सुर्ख लहंगे में आपकी दुल्हन, आपके इंतजार में बेताब बैठी है। शादी को लेकर एक अजीब सी बेचैनी और खुशी या एक्साइटमेंट आप में से कितने लोग, एक्सपीरियंस कर चुके हैं या करने वाले हैं। शादी एक ऐसा पारिवारिक संगम, जिसमें 2 परिवारों के जीवन की, एक नई शुरुआत होती है। एक ऐसी जिंदगी, जिसमें कई ups and downs हो सकते हैं, लेकिन adventures और incredible memories के साथ आपकी लाइफ को कंप्लीट करती है। हमारी लाइफ के ज्यादातर रिश्ते बाय बर्थ बन जाते हैं, जैसे माता, पिता, भाई, बहन और रिश्तेदार। लेकिन अपना पार्टनर चुनना एकमात्र ऐसा रिश्ता है, जिसे हम खुद चूज कर सकते हैं। हालांकि अरेंज्ड हो या फिर लव मैरेज, दोनों में ही हमारे पास अपना पार्टनर Decide करने की चॉइस होती है। अरेंज मैरिज में, आपके पेरेंट्स या रिश्तेदार आपको शादी के लिए कोई लड़का या लड़की recommend करते हैं। अरेंज मैरिज का मतलब, अब किसी अजनबी से शादी करना नहीं है, बल्कि पेरेंट्स अपने बच्चों को, एक-दूसरे को जानने और समझने के लिए समय देते हैं। फिर इंगेजमेंट यानी रोका होता है। इसके बाद दोनों परिवारों की रजामंदी और सहूलियत के हिसाब से शादी की जाती है। यानी इस दौरान भी न सिर्फ लड़के और लड़की को, बल्कि दोनों परिवारों को एक-दूसरे को समझने के लिए बहुत टाइम मिलता है। इन फ्यूचर मेट्स में मुलाकातें बढ़ती हैं और इस तरह एक वेल अरेंज्ड मैरिज में, लव automatically हो जाता है।
जब प्यार की बात उठी है, तो आइए लव मैरिज के बारे में जान लेते हैं। जहां अरेंज मैरेज में पेरेंट्स कपल को मिलवाते हैं, वहीं लव मैरेज में लड़का और लड़की पहले खुद, शादी का डिसीजन लेते हैं और उसके बाद पेरेंट्स को, अपने पार्टनर से मिलवाते हैं। पेरेंट्स के अप्रूवल से यह बन जाती है लव-अरेंज मैरेज, यानी पेरेंट्स की मंजूरी से शादी हो जाती है। यहां भी ठीक वैसे ही एंगेजमेंट और कुछ समय बाद शादी। और इस केस में तो, लड़का-लड़की पहले से ही एक-दूसरे को जानते और समझते हैं। अरेंज और लव मैरिज के अलावा, आजकल लिव इन का ट्रेंड चल रहा है। लिव इन रिलेशनशिप आखिर है क्या? एक ऐसा रिश्ता, जहां 2 लोग पति-पत्नी की तरह, बिना शादी के एक साथ रहते हैं। इस रिलेशनशिप में 2 सिचुएशन बनती हैं, पहली- सालों एक-दूसरे के साथ रहने के बाद कपल शादी कर लेता है। और दूसरी सिचुएशन यह कि महीनों या सालों एकसाथ रहने के बाद उन्हें लगता है कि वो शादी के लिए एक अच्छा मैच नहीं है और अलग हो जाते हैं।
अरेंज और लव अरेंज मैरिज, दोनों की शुरुआत के तरीके अलग हैं, लेकिन प्यार और शादी से उनकी एक हैपी एंडिंग होती है। लेकिन लिव इन रिलेशनशिप की सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारी इंडियन सोसायटी आज भी इसे एक्सेप्ट नहीं कर पाई है। शादी को एक संस्कार माना जाता है, लेकिन लिव इन को एक stigma की तरह देखा जाता है। भले ही कोर्ट, लिव-इन से पैदा हुए बच्चों को वैध मानता है, लेकिन इन बच्चों को मेंटल स्ट्रेस झेलनी पड़ती है और उनका बचपन भी, दूसरे नॉरमल बच्चों की तरह एन्जॉय फुल नहीं होता। जो युवा लिव इन को चूज करते हैं, वो अपने पार्टनर के लिए पहले से ही डाउटफुल हैं और शायद तभी वो लिव इन को चूज करते हैं, ताकि बिना किसी लीगल प्रोसीजर के अपने पार्टनर से अलग हुआ जा सके। जाहिर सी बात है कि आज के युवा लाँग टर्म कमिटमेंट से डरते हैं, क्योंकि शादी का मतलब ही कमिटमेंट और जिम्मेदारी है। लव मैरिज को लेकर हम यंगस्टर्स को blame नहीं कर सकते, क्योंकि इसमें सबसे बड़ा दोष सोसायटी और फैमिली का है। आज माइक्रो फैमिली के कारण हमारा दूसरों से ज्यादा ताल्लुक नहीं है। जिस तरह पुराने जमाने में हमारे बड़े बुजुर्ग, फ्रेंड्स और रिलेटिव्स दूसरों की जिम्मेदारी लेते थे, वैसे आज कोई भी मीडिएटर, किसी पर इतना विश्वास नहीं करता कि उनकी responsibility ले सके। द रेवोल्यूशन-देशभक्त हिंदुस्तानी के साथ हम सिर्फ इतना कहना चाहेंगे कि हमें अपने युवाओं को समझना होगा और याद रखें, हर रिश्ते की तरह, इस रिश्ते की नींव भी प्यार और विश्वास पर टिकी है।