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दूसरों की मदद करना सीखें

आनंद के पापा, ऑफिस के एक कर्मचारी से बहुत परेशान थे। असल में, वो अक्सर, ऑफिस देरी से आता था। और, जब कोई पूछे, तो कई किस्से सुना देता। शनिवार का दिन था, उन्होंने, उसे कहा- सोमवार से अगर तुम टाइम पर ऑफिस नहीं आए, तो मैं तुम्हारे खिलाफ एक्शन लूंगा। वो आदमी, स्वभाव से बहुत अच्छा था, इसलिए सिर्फ वॉरनिंग देकर जाने दिया। उसके बाद, कुछ दिन टाइम से ऑफिस आया। लेकिन एक दिन, दोबारा आधा घंटा लेट। जब वो ऑफिस पहुंचा- तो आनंद के पापा ने, उसकी बिना कोई बात सुने, उसे घर वापस जाने को बोल दिया। वो आदमी घर चला गया। खाली पड़ा था, उसके पास कुछ काम नहीं था, इसलिए सोचता है- हॉस्पीटल जाकर, क्यों न, उस लड़के को देखकर आता हूं, जिसे हॉस्पीटल पहुंचाने के चक्कर में वो, आज वो, ऑफिस के लिए लेट हुआ था।

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वो जैसे ही वहां पहुंचा, डॉक्टर ने उसे बताया कि- अगर थोड़ी और देर होती, तो शायद इस बच्चे की जान नहीं बचती। अच्छा किया आप इसे टाइम पर हॉस्पीटल ले आए। डॉक्टर ने उसे कहा- बच्चे के माता पिता भी आ गए हैं। वो रहे। जैसे ही वो आदमी, उनकी तरफ देखता है- तो वो कोई और नहीं, आनंद के माता-पिता थे। वो आदमी, उन्हें देखकर हैरान हो गया और कहने लगा- सर, क्या ये आपका बेटा है। वो उसके आगे, हाथ जोड़कर, कहते हैं- कि तुम्हारी वजह से आज, मेरे बेटे की जान बची है। इस कहानी का सार ये है कि मदद करते चलिए। आपका एक एक्शन, किसी की जिंदगी बदल सकता है।