आज 3 मार्च है, और यह तारीख, भारत के इतिहास के साथ-साथ, फ्यूचर के लिए भी बहुत इंपॉरटेंट है, क्योंकि आज जमशेदजी टाटा की बर्थ एनीवरसरी और वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ डे है। मुंबई में भारत का पहला और बेहतरीन लक्ज़री होटल बना था। साल 1898 में उसकी नींव रखी गई थी, और 16 दिसंबर 1903 को, 17 मेहमानों के लिए उस पैलेस के द्वार खोल दिए गए थे। हम बात कर रहे हैं, ताज पैलेस की, जिसे जमशेदजी टाटा ने बनवाया था। उस वक्त, यह भारत का पहला और इकलौता होटल था, जिसमें बिजली, अमेरिकी पंखे, जर्मन लिफ्ट, तुर्की बाथरूम के साथ-साथ, अंग्रेजी बटलर थे। और यही वो होटल था, जिसे फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दौरान, 600 बिस्तर वाले अस्पताल में बदल दिया गया था। A-टाटा एंड संस ग्रुप के फाउंडर, जमशेदजी टाटा का जन्म 3 मार्च, 1839 को गुजरात के नवसारी शहर में हुआ था। वे पारसी पुजारियों के परिवार से थे, और पिता नुसरवानजी टाटा की इकलौती औलाद थे । उनके परिवार की कई पीढि़यां पुरोहिताई में लगी रहीं, लेकिन जमशेदजी टाटा के पिता ने यह कल्चर बदल कर, बिजनेस में हाथ आजमाने का सोचा। और 14 साल की उम्र में जमशेदजी, बॉम्बे में अपने पिता के पास चले गए। जब वो 16 साल के थे, तब उनकी शादी हीराबाई से हो गई थी। इस दंपति के दो बच्चे हैं, दोराबजी टाटा और रतनजी टाटा, जो जो आगे चलकर जमशेदजी के उत्तराधिकारी बने। जमशेदजी तकरीबन 20 साल के थे, तब उन्होंने अपने पिता के साथ फर्म में काम करना शुरू कर दिया। और 29 साल की उम्र में सिर्फ 21, हजार रुपये के साथ एक trading कंपनी की शुरुआत की। वो पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने काम के घंटे, सिक लीव, पेंशन और ग्रेच्युटी की पेशकश की थी, जिसके बारे में उस वक्त, कोई और कोरपोरेट हाउस सोच भी नहीं रहा था। हालांकि साल 1904 में भारत ने इन्हें खो दिया, लेकिन टाटा इंडस्ट्री, आज पूरी दुनिया में सुर्खियों में है।
B-और आज यही दुनिया, वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ डे की 50वीं वर्षगांठ मना रही है, क्योंकि इस दिन Wild Fauna and Flora स्पीशीज के लिए एक International Trade Convention लाँच किया गया था। यह साल 1973 था, जब इस कन्वेंशन का जन्म हुआ था। आपको पता है, koala के फिंगर प्रिंट ह्यूमन फिंगर प्रिंट से इतने मैच करते हैं, कि बायचांस किसी क्राइम सीन पर कोई कोआला हो, तो कोई भी कन्फ्यूज हो जाए। अगर शुतुरमुर्ग की बात करें, तो इसकी आंख, उसके दिमाग से भी बड़ी होती है। अच्छा एक मेंढक कितना इंटरस्टिंग हो सकता है, सोचा है। इस प्राणी को उल्टी भी नहीं करने आती। अगर इसने कुछ जहरीली चीज निगल ली, तो ये अपना पूरा पेट उल्टी कर देते हैं, और फिर अपने हाथों से उसे साफ करके, वापिस अंदर ले लेते हैं। वास्वत में इस प्रोसेस को फुल गैस्ट्रिक इवर्शन कहा जाता है। आपको जरूर ये बातें रोचक लगी होंगी, एक्चुअली पूरी वाइल्ड लाइफ अमेंजिंग जीव, जंतुओं, पशु, पक्षिओं से भरी पड़ी है, जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए।
जानकर हैरानी होगी, लेकिन दुनिया भर में 50,000 जंगली प्रजातियां हैं, जो अरबों लोगों की जरूरतों को पूरा करती हैं। दुनिया भर में 5 में से 1 व्यक्ति अपनी आय और भोजन के लिए वाइल्ड स्पीशीज पर डिपेंड करता है। वाइल्ड लाइफ के बिना ह्यूमन जीवन की उम्मीद भी नहीं कर सकते! World Wildlife Fund के अनुसार, साल 1970 से लेकर 2018 तक, mammals, birds, reptiles और मछलियों सहित, लगभग 69 परसेंट स्पीशीज में गिरावट देखी गई है। बायोडायवर्सिटी के खत्म होने से हमारे लिए सबसे पहला चैलेंज क्लाइमेट चेंज है। और उससे भी बड़ी बात, अगर बढ़ते तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित नहीं किया गया, तो यही टेंपरेचर, बाकी स्पीशीज के खत्म होने का कारण बन जाएगा। जिससे मानव जीवन खुद ब खुद खत्म हो जाएगा, क्योंकि फूड चेन का पूरा सर्कल बिगड़ जाएगा। सरकार को इकोटूरिज्म का समर्थन करना चाहिए, इससे लोगों की आय भी बढ़ेगी और बायो डायवर्सिटी भी बच जाएगी। वहीं प्राइवेट जमीन पर वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन का प्रयास करना चाहिए। डेवलपमेंट, के बिना हम सरवाइव नहीं कर पाएंगे, लेकिन ध्यान रखना होगा, कि यह विनाश का कारण न बन जाए। जमशेदजी टाटा के शब्द हैं कि अपनी आजादी की रक्षा करने की ताकत केवल, तभी आ सकती है, जब हम widespread industrialization और देश के आर्थिक जीवन में मॉर्डन साइंस और टेक्नोलॉजी को अपनाते हैं। आज टाटा कंपनी और ट्रस्ट, लाखों लोगों के रोजगार और विश्वास का आधार बना है। अगर आज भी टाटा इंडस्ट्री लोगों के विश्वास को बनाकर रख पाई है, तो यह सिर्फ जमशेदजी टाटा की बदौलत पॉसिबल हुआ है, क्योंकि उन्होंने बिजनेस और प्रोफिट के साथ-साथ, अपने साथ काम करने वाले लाखों कामगारों के वेलफेयर के बारे में भी सोचा था।