जब कोई बड़ा भी, जिद्द करे, तो हम अक्सर कहते हैं कि बच्चों की तरह जिद्द मत करो। शायद ये बच्चों का ही काम है। आनंद भी आज, जिद्द पे अड़ा था। पिछले काफी दिन से बोल रहा था कि चिढि़याघर ले चलो। सोचने लगा, छोटा हूं, इसलिए कोई उसे सीरियस नहीं ले रहा। खाना-पीना छोड़कर, धरने पे बैठ गया। अब तो, पेरेंट्स को मानना ही पड़ा। उसके पापा ने, वीकेंड पर चिडि़याघर जाने का वादा किया। वादे के अनुसार, 2 दिन बाद, वो सब चिढि़याघर गए। तरह-तरह के जानवरों को देखकर, आनंद बहुत खुश हुआ। लेकिन हाथी को देखकर, उसके मन में एक सवाल आया। अपने पापा से बोला- इतना ताकतवर हाथी, सिर्फ एक छोटी सी, रस्सी से बांध कर रखा है। ये, अपने पैर में बंधी इस रस्सी को, तोड़कर क्यों नहीं भागता। ये तो इसे बड़ी आसानी से तोड़ सकता है।
तब उसके पिता ने जवाब दिया- हाथियों को बचपन से, ऐसी ही रस्सी से बांधकर रखते हैं। अपने बचपन में, ये इतने ताकतवर नहीं होते। तब ये, रस्सी तोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन नहीं तोड़ पाते। इसलिए, कोशिश करना ही छोड़ देते हैं। अब ये बड़े हो गए हैं, लेकिन इन्होंने मान लिया है कि ये इस रस्सी को, नहीं तोड़ सकते। अगर, अतीत में आपने कोई काम किया और उसमें फेल हो गए, तो ये माइंडसेट न बनाएं कि, आप भविष्य में या आज वो नहीं कर सकते। पिछली असफलताओं से सीखें, न कि उनसे निराश होकर ये मान लें कि आपसे नहीं होगा।