लद्दाख घाटी का Bailey Bridge , दुनिया का सबसे ऊंचा ब्रिज है, जिसे अगस्त 1982 में इंडियन आर्मी ने बनाया था। इतना ही नहीं, दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क भी इंडियन आर्मी ने बनाई है, जो Khardungla Pass पर है। आज पूरा भारत, भारतीय सेना दिवस की 75वीं सालगिरह मना रहा है, लेकिन शायद आपको पता हो कि साल 1776 में, कोलकाता में ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार में तहत भारतीय सेना का गठन हुआ था। और आज, हमारी यह सेना रेगिस्तान से लेकर माइनस 60 डिग्री से कम टेंपरेचर वाले बर्फीले सियाचिन ग्लेशियर में सर्विस दे रहे हैं! बर्फ से जुड़ी गेम्ज के लिए आज वलर्ड स्नो डे भी मनाया जा रहा है! आज से 4 दिन तक चलने वाला पोंगल उत्सव भी शुरू हो रहा है! माना जाता है कि यह त्योहार कम से कम 2,000 साल पुराना है, जिसे पुराने समय में, थाई निरादल के नाम से मनाया जाता था। सैम मानेकशॉ के बाद, फील्ड मार्शल का खिताब पाने वाले दूसरे व्यक्ति K.M. करियप्पा के सम्मान में, हर साल 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है। आधिकारिक तौर पर भारतीय सेना 1 अप्रैल 1895 को बनी थी! भारत की आजादी के बाद से 14 जनवरी 1949 तक भारतीय सेना की कमान, अंग्रेज कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर के पास थी और 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे! और इसलिए, सेना की कमान भारत के हाथों में आने के कारण ही, 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है!
आजादी के समय भारतीय सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे और आज यह संख्या लगभग 13.5 लाख तक पहुँच गयी है! ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स 2017 के अनुसार, भारत की सेना को दुनिया की चौथी सबसे मजबूत सेना माना जाता है! इंडियन आर्मी के 53 cantonments और army base हैं, जिनके जरिए देश की आर्मी, गर्मी, सर्दी और बर्फीले तूफानों से लड़ते हुए देश की सेवा कर रही है! बर्फ से ढके, स्नो प्वाइंट में मस्ती करना, आपको भी पसंद होगा, लेकिन क्या आप स्नो रिलेटेड कोई गेम खेलते हैं, या फिर सिर्फ बर्फ के गोलों से, दूसरों को तंग करने तक ही सीमित हैं? खैर, आज की खासियत की बात करें, तो आज के ही दिन, साल 2012 में पहली बार, इंटरनेशनल स्की फेडरेशन ने पहला वर्ल्ड स्नो डे मनाया था। हालांकि यह साल 2007 के ‘‘ब्रिंग चिल्ड्रन टू द स्नो’’ कैंपेन का दूसरा चरण था। स्कीइंग की हिस्ट्री की बात करें, तो यह खेल सहस्राब्दियों से चली आ रहा है और यूरोप में 5100 ई.पू. की रॉक नक्काशियां इसका प्रमाण हैं। इसके अलावा 18 फरवरी, 1910 को नॉर्वे में पहले अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग आयोग का गठन किया गया था। हर कोई स्नो फॉल और बर्फ से जुड़ी कई एक्टीविटीज को एन्जॉय करने के लिए कहीं न कहीं जरूर जाता है। और बर्फ से जुड़ी इन्हीं खास लम्हों को, स्पेशल यादगार बनाने के लिए यह दिन, पूरी दुनिया को एकसाथ लाता है। स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग जैसे स्नो स्पोर्ट्स में पार्टिसिपेशन बढ़ाना भी इसका उदेश्य है। और भारत के Gulmarg, Mussoorie, Ladakh और Tawang जैसे कई स्नो फाॅल पाॅइंट्स की डायवर्सिटी, भारत सहित, विदेशियों को भी अपनी ओर अटरैक्ट कर रही है!
भारत का डाइवर्स कल्चर ही, इसकी पहचान है! साउथ इंडिया और खासकर, तमिल लोग आज से थाई महीने के आगाज पर, पोंगल सेलिब्रेट कर रहे हैं! उत्तरायण की शुरुआत के प्रतीक इस त्योहार का ‘‘पोंगल’’ शब्द तमिल साहित्य से लिया गया है, जिसका मतलब है- उबालना। आज इस त्योहार का पहला दिन है, जिसे भोगी उत्सव कहा जाता है! दूसरा दिन- थाई पोंगल, तीसरा दिन - मट्टू पोंगल और चौथे दिन को कन्नम पोंगल कहा जाता है। इसकी एक खास बात यह है कि इस त्योहार में बनने वाले पकवान का नाम भी पोंगल है, जो उबले हुए मीठे चावल का मिश्रण है। जैसा कि हम जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और शायद इसीलिए, हमारे ज्यादातर त्योहारों का झुकाव प्रकृति की ओर होता है। और पोंगल भी, एक फसल उत्सव है, जो सूर्य, प्रकृति माता और विभिन्न जानवरों को धन्यवाद देने का उत्सव है! मेजर सोमनाथ शर्मा ने कहा था कि ‘‘मैं एक इंच भी पीछे नहीं हटूंगा, लेकिन अपने आखिरी आदमी और अपने आखिरी राउंड तक लड़ूंगा।’’ आज, भारतीय सेना दिवस पर, द रेवोल्यूशन - देशभक्त हिंदुस्तानी, भारत के इन बहादुर जांबाजों को सलाम करता है, जिन्होंने हमें आजादी दिलाई और जिनकी बदौलत आज हम, स्वतंत्र भारत में हर खास लम्हे को सेलिब्रेट कर पा रहे हैं! भारतीय सेना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।