भगवान कृष्ण के गुरु महर्षि सांदीपनि, श्री राम के गुरु ऋषि वशिष्ठ, और भगवान बुद्ध के गुरु - विश्वामित्र। यानी भगवान को भी गुरु की जरूरत पड़ी थी, तो हमें भी किसी न किसी गुरु की जरूरत पड़ती है। चाहे फिर भगवान को apna गुरु मान लें, या parivaar को। ज्ञान हमें, पूर्ण बनाता है। और ये ज्ञान हमें, किससे मिलता है- परिवार, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरुओं और समाज से! गुरु का मतलब ही, अंधकार को दूर करने वाला है। हम सभी की जिंदगी में कोई न कोई ऐसा इनसान जरूर होता है, जिसे हम अपना रोल मॉडल मानते हैं, जो हमें नॉलेज देता है, अवेयर करता है, परेशानी में हमें, राह दिखाता है। वही, आपके गुरु हैं।
गुरुओं के महत्व और इनके सम्मान में, आज हम गुरु पूर्णिमा मना रहे हैं। इसके पीछे कई मान्यताएं हैं। एक कथा है भगवान शिव की, जब उन्होंने, दुनिया के पहले गुरु बनकर, अपने 7 शिष्यों को ज्ञान दिया था। कहा जाता है कि, आज के ही दिन, महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने मनुष्य को, वेदों की शिक्षा दी थी। और बौद्ध कथाओं की मानें, तो यह वो दिन है, जब गौतम बुद्ध ने अपने पहले पांच शिष्यों को, उपदेश दिया था। और जैन धर्म के अनुसार, इस दिन भगवान महावीर की पूजा की जाती है, क्योंकि इसी दिन उन्होंने अपने पहले शिष्य को ज्ञान दिया था। आपके गुरु, या रोल मॉडल चाहे, परिवार का कोई सदस्य है, या फिर आपके स्कूल, कॉलेज के शिक्षक या कोई आध्यात्मिक गुरु। उनके मार्गदर्शन में, हमेशा सात्विक मार्ग चुनें!
क्योंकि शिव को गुरु मानकर, रावण एक तपस्वी तो बन गया था, लेकिन फिर भी उसने सीता माता का हरण किया था। यानी गुरु और ज्ञान की मदद से, एक साधु बनना आसान है, लेकिन होना मुश्किल है। इस गुरु पूर्णिमा, द रेवोल्यूशन-देशभक्त हिंदुस्तानी, पर आप सभी को, हार्दिक शुभकामनाएं देता है। आइए, हमारे अस्तित्व को आकार देने वाले, हमें एक अच्छा इनसान बनाने वाले, और जीवन का उद्देश्य समझाने वाले, हर गुरु का आभार प्रकट करें।