एक नाई की दुकान में, दुनियाभर की बातें चल रही थीं, कोई राजनीति को लेकर बोल रहा था, तो कोई सिनेमा और भ्रष्टाचार को लेकर। मिस्टर त्रिपाठी भी, वहां मौजूद थे। अचानक वहां, भगवान के अस्तित्व को लेकर बात होने लगी। नाई ने कहा, “देखिये, आपकी तरह मैं तो, भगवान के अस्तित्व को नहीं मानता”। एक आदमी बोला- “ ऐसा क्यों?” निराशा और थोड़े क्रोध में नाई बोला- अस्पतालों में बीमार लोग, सड़कों पर अनाथ बच्चे। अगर भगवान होते, तो किसी को कोई दर्द-तकलीफ नहीं होती। आप ही बताइए, कहां हैं भगवान। वो आदमी, चुप हो गया। नाई की इस बात का, उसके पास कोई जवाब नहीं था।
लेकिन मिस्टर त्रिपाठी से रहा नहीं गया। नाई को कहने लगे,- जानते हो इस दुनिया में नाई नहीं होते!” वो नाई, हैरान होकर कहने लगा- मैं तुम्हारे सामने खडा हूं। उन्होंने कहा- नहीं होते हैं, वरना किसी की लम्बी दाढ़ी–मूछ नहीं होती, पर देखो, सामने उस आदमी की कितनी लम्बी दाढ़ी-मूछ है !!” इस पर नाई बोला- बहुत से लोग हमारे पास, खुद नहीं आते। “बिलकुल सही” मिस्टर त्रिपाठी ने कहा। ठीक इसी तरह, भगवान भी होते हैं, पर लोग उनके पास नहीं जाते और ना ही उन्हें खोजने की कोशिश करते हैं, दुख का कारण, भी यही है।