यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च य: । हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो य: स च मे प्रिय:॥ श्रीमद भगवत गीता के इस श्लोक, में श्री कृष्ण जी कहते हैं कि जो मनुष्य किसी को कष्ट नहीं पहुँचाता, जो किसी के द्वारा विचलित नहीं होता, जो सुख-दुख में एक समान रहता है, जो भय और चिंता से मुक्त रहता है, वह मुझे अत्यंत प्रिय है। यहां एक सवाल अपने आप से पूछें कि, क्या आपके कर्म भी ऐसे हैं, जिनसे किसी को कभी कोई परेशानी नहीं हुई। या फिर आप खुद अपने ही कर्म से आहत हुए हैं। क्या आप सुख-दुख में संयम के साथ रहते हैं या फिर भय या चिंता की सिचुएशन में भी आपका मन डगमगाता नहीं हैं। क्या आपने भी कभी पूरी भगवत गीता या फिर इसके कुछेक श्लोक पढ़े या सुने हैं। भगवत गीता के ज्ञान से आप क्या समझते हैं। क्या इसे रटने वाले विद्वान हैं या फिर इसकी इंपॉरटेंस को समझना और इसे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाना, ही गीता का सच्चा ज्ञान है। वैसे तो श्रीमद्भगवद्गीता, हिंदू धर्म की एक होली बुक है, लेकिन इसके विचार, समस्त मानवता को एक सही राह दिखाते हैं। 5 हजार साल पुरानी इस पुस्तक में कुल 18 चैप्टर और 700 श्लोक हैं। आज का दिन इसलिए भी खास है, क्योंकि आज गीता जयंती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, जिसके बाद श्रीमद भगवद-गीता अस्तित्व में आई।
हम में से हर कोई खुश रहना चाहता है, लेकिन अनफॉर्चूनेटली हम भौतिक सुख की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं और एट दि एंड उसमें भी हमें खुशी नहीं मिलती। सच्चा सुख पाना हो, तो भगवद्गीता पढ़ें, लेकिन याद रखें गीता का ज्ञान, हजारों श्लोकों को याद करना नहीं है, बल्कि अपने अहंकार की जगह सच को सुनना और स्वीकार करना है। उलझन में भगवत गीता, हमें बताती है कि क्या छोड़ना है और क्या साथ में लेकर चलना है। खुशी में संयम से जीवन कैसे जिया जाए और दुख पर काबू कैसे पाया जाए। गीता अनुभवहीन philosophy या mysticism की बात नहीं करती है, बल्कि यह जिंदगी की रियलिटी पर आधारित एक्सपीरिएंस के अनुसार हमें गाइड करती है। अगर अपनी लाइफ का Aim आप नहीं समझ पा रहे हैं, तो भगवत गीता को follow करें, यह आपको purity, strength, discipline, honesty, kindness and integrity के साथ लाइफ को जीने का रास्ता बताएगी। यह हमारे तमाम अंधविश्वास, झूठी मान्यताओं और doubts को दूर करती है और एक सही नजरिया देती है, खुद पर कंट्रोल करना सिखाती है, एक पॉजिटिव सोच के साथ शांत रहना सिखाती है, fearless बनाती है और सिखाती है कि कुछ भी परमानेंट नहीं है, चाहे वो सुख-दुख हो, रात-दिन हो, अच्छा-बुरा समय हो, वो बीत ही जाएगा।
भगवत गीता की इंपॉर्टेंस और युवाओं को इससे अवेयर करने के लिए 19 नवंबर से 6 दिसंबर तक कुरुक्षेत्र में, इंटरनेशनल गीता महोत्सव भी मनाया जा रहा है, जिसमें कई राज्यों की अदभुत लोक संस्कृति देखने को मिल रही है। ऐसे ही, मानवता की सेवा और गीता के प्रचार-प्रसार के लिए साल 1923 में , गोरखपुर में दुनिया के सबसे बड़े publishers में से एक गीता प्रेस की स्थापना की गई थी, जो वर्ल्ड को गीता और सनातन धर्म का ज्ञान दे रही है। Jay Dayal Goyandka, Ghanshyam Das Jalan, Hanuman Prasad Poddar के निर्देशन में गीता प्रेस ने लगभग हर भाषा में भगवत गीता को पब्लिश किया है, ताकि हर धर्म, हर कम्युनिटी के लोग, जीवन का सही मतलब समझ सकें। गीता प्रेस भी, ह्यूमैनिटी में विश्वास करती है और इसी वजह से यह पॉलिटिक्स से कोसों दूर रहकर, पूरे देश के कल्याण के लिए Committed है। जिस तरह भगवतगीता, हमें जीना सिखाती है, उसी तरह इंडियन नेवी हमारी जीवन रक्षक है। आज 4 दिसंबर है और पूरा भारत, 1971 में भारत-पाकिस्तान वॉर में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन ट्राइडेंट और ऑपरेशन पायथन के लाँच की याद में इंडियन नेवी डे मना रहा है। इंडियन नेवी की हिस्ट्री 1612 से ट्रेस की जा सकती है, जब कैप्टन बेस्ट ने पुर्तगालियों का सामना किया और उन्हें हरा दिया। इंडियन नेवी, 7वीं सबसे मजबूत maritime force है, नेवी लवर्स को शायद मालूम होगा कि केरल में स्थित इंडियन नेवल एकेडमी, एशिया की सबसे बड़ी नौसेना एकेडमी है। गीता जयंती के पावन अवसर पर, मैं सिर्फ इतना कहना चाहूँगी. कि आप चाहे किसी भी धर्म या भगवान में बिलीव करते हों, पर एक शांत और stable state of mind के लिए आप गीता को फॉलो कर सकते हैं। यह किसी खास धर्म को मानने वालों के लिए नहीं, बल्कि समस्त मानवता के लिए है। द रेवोल्यूशन- देशभक्त हिंदुस्तानी इंडियन नेवी, के साहस और courage को भी Salute करता है