हम, जो कुछ भी अच्छा-बुरा, सीखते हैं, उसकी शुरुआत परिवार से ही होती है। हमेशा की तरह, आज भी डायनिंग टेबल पर, मिस्टर त्रिपाठी, बच्चों को, कुछ सिखा रहे हैं। कहानी सुनाते हैं- एक राजा की। जिसके पास बाज़ के 2 बच्चे थे। जब वो बड़े हुए, तो उनमें से एक आसमान में उड़ता, और दूसरा, हमेशा बागीचे में, एक पेड़ की डाल पर बैठा रहता। एक दिन, अचानक, राजा ने देखा कि दोनों बाज, आसमान में उड़ रहे थे। ये देखकर राजा बहुत खुश हुआ। उसने दरबारियों से पूछा कि ये कारनामा किसने किया। तब वो एक किसान को लेकर आए।
राजा ने किसान को पूछा- जो विद्वान नहीं कर पाए, तुमने कैसे कर दिया। इस पर, किसान कहता है- कि मैंने तो सिर्फ वो डाली काट दी, जिस पर वो बैठता था। जब वो शाखा नहीं रही, तो उसके पास उड़ने के अलावा, दूसरा कोई चारा नहीं था। कभी-कभी, हम भी ऐसे ही कंफर्ट जोन में अटक जाते हैं। हम जो कर रहे हैं, हमेशा वही करते रहते हैं और इस बाज़ की तरह, हम अपनी क्षमता को भूल जाते हैं कि हम कितना ऊंचा उड़ सकते हैं।