आज क्रिसमस है। आप में से ज्यादातर लोग अपने घरों को सजाएंगे, स्पेशल क्रिसमस ट्री बनाएंगे, और सेंटा क्लाउज बनकर अपने फ्रेंड्स और रिश्तेदारों में गिफ्ट बांटेंगे। और कुछेक लोग, सिर्फ क्रिसमस की छुट्टियों के इंतजार में थे, कि कोई स्पेशल ट्रिप प्लान करके वीकैंड में फुल एन्जॉयमेंट के साथ न्यू ईयर का वेलकम करेंगे। आज पार्टियां होंगी और क्राइस्ट को याद किया जाएगा। लेकिन क्या आप क्रिसमस का सही मतलब जानते हैं। कहां से क्रिसमस का यह ट्रेडिशन आया। या फिर आपके लिए भी क्रिसमस का यह त्योहार, सिर्फ ग्लास बॉल्स, सांता क्लॉज के आने का इंतजार करने, चारों ओर रंगीन रोशनी और कैरल गायन तक सीमित है। क्रिसमस सीजन में, 25 दिसंबर का दिन एक और वजह से भी खास है, क्योंकि आज के दिन साल 1924 में भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता, अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म हुआ था। आइए आज के इन खास लम्हों के कुछ दिलचस्प पहलुओं को जानते हैं। A- क्रिसमस को 'Feast day of Christ' भी कहा जाता है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि यह क्राइस्ट की बर्थ एनीवरसरी है, लेकिन हर धर्म के लोग इस त्योहार को खुशी से मनाते हैं। कृष्ण की तरह ही, यीशु का जन्म भी दीन अवस्था में, एक गौशाला में हुआ, जहां यीशु की देखभाल के लिए भी सिर्फ दीन चरवाहे ही मौजूद थे। जैसे-जैसे उम्र बीती, मरियम के पुत्र यीशु ने शोषण, अकेलापन, गरीबी और वो दुख-दर्द अनुभव किया, जो आम लोग, उस वक्त झेल रहे थे। वो मनुष्य के रूप में जीवन का अनुभव करने और आम लोगों के संघर्षों को समझने के लिए दुनिया में आए थे।
इम्मानुएल, यीशु का दूसरा नाम है, जिसका मतलब है - "परमेश्वर हमारे साथ" है। ईसा मसीह के जन्म का जश्न मनाना, क्रिसमस सेलिब्रेशन और घरों को सजाने से कहीं ज्यादा है। यह दिन यीशु से मिले प्यार और साथ के लिए, उन्हें धन्यवाद देने का दिन है। उनका जन्म ही नहीं, उनका पूरा जीवन हमारे लिए एक प्रेरणा है, कि परिस्थितियां कितनी भी मुश्किल और निराशाजनक क्यों न हों, उनसे लड़ते हुए हम यीशु को हमेशा अपने साथ पाएंगे। जीसस ने कहा था कि "लोग केवल रोटी से नहीं, बल्कि हर उस वचन से जीते हैं, जो परमेश्वर की जुबान से निकला है।" इन शब्दों को अगर गहराई से समझने की कोशिश करें, तो सच में हमारे लिए अपने भगवान, अल्लाह और वाहेगुरु के शब्द ही, हमें जीवन का सही मतलब समझाते हैं। भारत एक इंद्रधनुष की तरह है, जिसका हर धर्म और संस्कृति एक होकर, इसे पूरा करते हैं। हर धर्म के त्योहारों की तरह क्रिसमस भी, हम सभी के लिए अपनापन, प्रेम और सौहार्द लेकर आया है। B-अगर भारत धर्मनिरपेक्ष नहीं है, तो भारत, भारत है ही नहीं। भारत की डायवर्सिटी की अहमियत को, इतने सरल शब्दों में समझाने वाले, अटल बिहारी वाजपायी जी की आज जयंती है। 25 दिसंबर को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक स्कूल टीचर के घर जन्मे श्री वाजपेयी जी, 9 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिए चुने गए थे। अपनी उदार सोच और लोकतांत्रिक आदर्शों के लिए पहचाने जाने वाले वाजपायी जी की साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा बनने के बाद, राष्ट्रीय राजनीति में रुचि बढ़ी।
कॉलेज में लॉ और पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने एक journalist के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। साल 1996 में पहली बार और 13 अक्तूबर, 1999 को, दूसरी बार भारत के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। भारत के प्रति उनके निस्वार्थ समर्पण को देखते हुए, उन्हें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान- पद्म विभूषण से भी नवाजा गया। इसके अलावा साल 1994 में, उन्हें भारत का 'सर्वश्रेष्ठ सांसद' नॉमिनेट किया गया था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी, के जनसंघ के साथ मिलकर अटल बिहारी वाजपेयी जी ने, एक सुदृढ़, सशक्त, समृद्ध, समर्थ एवं स्वावलम्बी भारत के निर्माण के लिए साल 1980 में, भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की थी। उन्होंने राजनीति को दलगत और स्वार्थ से अलग हट कर अपनाया। हम उम्मीद करते हैं कि वर्तमान में भी भाजपा, भारत रत्न अटल जी के सिद्धातों, और उनके राजनीतिक मूल्यों का पालन करते हुए, काम करे। हम सब की लाइफ में कोई न कोई सांटा जरूर है, जो हमेशा हमारी ख्वाहिशों को पूरा करता है। आइए, इस क्रिसमस पर, अपने-अपने उन सांटा क्लॉज की विश को पूरा करें। आखिर, इतना तो, वो भी डिजर्व करते ही होंगे। द रेवोल्यूशन देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से, आप सभी को क्रिसमस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।