आनंद के पापा और उनकी कंपनी के कई सीनियर ऑफिसर, नजदीक के एक गांव में गए। असल में, सीएसआर सेशन था। गांव के लोगों को एजुकेट और अवेयर करने के लिए। गांव के कई लोग वहां आए। सेशन शुरू होने से पहले- आनंद के पापा ने एक बुजुर्ग आदमी को देखा। जब वो चल रहा था, तो जमीन पर खून के निशान थे, लेकिन वो समझ नहीं पा रहे थे। इस बुजुर्ग ने तो, जूते पहन रखे हैं, तो आखिर ये खून के धब्बे कैसे। वो बुजुर्ग के पैरों को देखने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वो बुजुर्ग बार-बार उन्हें बातों में उलझा देता।
उन्होंने कहा कि आपके जूतों में शायद छेद है। आपके पांव से खून बह रहा है। ये सुनकर वो बुजुर्ग आदमी कहता है- हां, पुराने हो गए हैं। तब उन्होंने कहा- कि अगर पुराने हो गए हैं, तो इन्हें पहनने की जरूरत क्या है। वो बुजुर्ग बोले- अपने बच्चों की इज्जत के लिए पहन रखे हैं। मेरे 2 बेटे हैं, एक दूर शहर में रहता है और दूसरा परदेस में। जब से मेरी पत्नी नहीं रही, तब से बच्चे, मुझपर ध्यान भी नहीं देते। ये जूते भी 3 साल पुराने हैं, मेरे बेटे ने मुझे दिए थे। अगर लोगों को बताउंगा या नंगे पांव चलूंगा, तो लोगों को लगेगा कि मेरे बेटे-बहू अच्छे नहीं हैं। इसलिए, फटे ही सही, बस उनकी इज्जत पर आंच ना आए, इसलिए पहने रखता हूं। कहानी का सार यही है कि मां-बाप को खुद से ज्यादा, अपने बच्चों की चिंता रहती है।