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Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti

मराठा साम्राज्य के फाउंडर, छत्रपति शिवाजी महाराज- एक ऐसा नाम है, जो हर भारतीय, के दिल में बसता है! आज देश में, खासकर उनके गृहराज्य, महाराष्ट्र में उनकी जयंती मनाई जा रही है। शायद आप जानते होंगे, छत्रपति शिवाजी को भारतीय नौसेना के पिता के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि वही थे, जिन्हें सबसे पहले नौसेना की अहमियत का एहसास हुआ था। और इसलिए उन्होंने एक नौसेना तैयार की थी। भारत के सबसे ज्ञानी और जिम्मेदार राजाओं में से एक, छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को पुणे के शिवनेरी दुर्ग में जीजाबाई और शाहजी भोंसले के यहाँ हुआ था। उन्हें या तो शिवाजी बुलाया जाता था या फिर शिवाजी राजे भोसले। शिवाजी महाराज की जयंती को मनाने की शुरुआत, साल 1870 में पुणे में समाजसेवी ज्योतिराव फुले ने की थी। उन्होंने रायगढ़ में शिवाजी की समाधि की खोज की थी। इसके बाद उनकी जयंती को मनाने की परंपरा बाल गंगाधर तिलक ने जारी रखी। एक महान योद्धा, रणनीतिकार और लीडर, छत्रपति शिवाजी ने कई बार मुगलों और अंग्रेजों की सेना को धूल चटाई थी। गोरिल्ला युद्ध नीति के बारे में आप सभी सुना होगा, यह नीति भी मराठा साम्राज्य के योद्धा वीर शिवाजी की थी। उन्होंने इसी रणनीति के साथ कई युद्ध लड़े और जीते भी। साल 1640 में शिवाजी महाराज का विवाह सईबाई से हुआ था और साल 1674 में, उन्हें ऑफिशियली 'छत्रपति' या सम्राट के रूप में ताज पहनाया गया। 3 अप्रैल 1680 को 52 साल की उम्र में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी मृत्यु के साढ़े तीन सौ साल से ज्यादा समय के बाद भी, आज भी उनकी वीरता, विजय और एक अच्छी शासन कला का गुणगान, राज्य के हर नुक्कड़ पर गूंजता है।

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उन्होंने अपनी प्रजा को सबसे ज्यादा अहमियत दी। किसी भी धर्म के लोगों में बिना भेदभाव किए, उन्होंने हर किसी को आगे बढ़ने का मौका दिया। उनकी कहानी हमें प्रेरणा देती है और हमें अपने आप और दूसरों के लिए सच्चा होना सिखाती है। छत्रपति शिवाजी महाराज जी ने कहा था कि "यदि एक पेड़, जो एक लिविंग एंटिटी भी नहीं है, इतना सहिष्णु और दयालु हो सकता है कि किसी के द्वारा मारे जाने पर भी मीठे आम दे सकता है, तो एक राजा होने के नाते, क्या मुझे पेड़ से ज्यादा दयालु और सहनशील नहीं होना चाहिए?" और यही कारण था कि उन्होंने, न सिर्फ मराठा साम्राज्य पर, बल्कि लोगों के दिलों पर भी राज किया। उनका स्वभाव कुछ ऐसा था, जिसकी आज के नेताओं में कमी है। न सिर्फ पॉलिटिकल, बल्कि हर सेक्टर में कोई न कोई लीडर मौजूद है, जिन्हें शिवाजी की इन बातों को गौर से समझने की जरूरत है। क्योंकि रुतबे से ज्यादा सम्मान शिष्टाचार, को मिलता है। छत्रपति शिवाजी भारतीय इतिहास के महान राजाओं में से एक हैं, जिनकी उपलब्धियां आने वाली पीढ़ियों के लिए गौरव का हिस्सा बन गई हैं। बचपन में, जब वो बच्चों के साथ खेलते थे, तब भी वो हमेशा सैनिक बनते थे और पूरी सेना का नेतृत्व करते थे। और देखिए, अपने जीवन में सच में एक बहादुर और शक्तिशाली योद्धा बने। इसलिए, जिस काम का हमें जुनून होता है, हमें उसी प्रोफेशन में खुशी और तरक्की दोनों मिलती है। और यही कारण है कि जो लोग अपने पसंदीदा फील्ड में काम करते हैं, उन्हें काम का बर्डन फील नहीं होता।

उन्होंने कहा था कि "समय ही उनके लिए बदल जाता है, जो बुरे समय में भी, अपने लक्ष्य के लिए लगातार काम करते हैं।" बुरा वक्त है क्या- जो हम नहीं चाहते, और वही हो जाए, यही बुरे की परिभाषा है, जो हर किसी के लिए अलग है। किसी के पास पैसा नहीं है, इसलिए बुरा वक्त है, किसी के लिए स्वास्थ्य और किसी से अपनों का साथ छूट रहा है, इसलिए वो वक्त उसके लिए बुरा है। बुरा वक्त किसकी जिंदगी में नहीं आता, और तो और भगवान राम, श्री कृष्ण और यीशू जैसे हमारे ईष्ट भी ऐसे दौर से गुजरे हैं, जिसने उन्हें दर्द दिया। इसलिए बुरे वक्त से भागना नहीं, बल्कि उसका डटकर सामना करने के लिए पहले से ही खुद को तैयार रखना चाहिए, और अपने अंतिम क्षणों तक लड़ें। यही सीख देती है शिवाजी महाराज की जिंदगी। एक बार एक बूढ़ी औरत पेड़ से आम तोड़ने की कोशिश कर रही थी, उसने एक पत्थर फेंका, जो छत्रपति शिवाजी को लग गया। लेकिन उन्होंने उस बूढ़ी औरत को माफ कर दिया, और उसकी मदद की, उसे पैसा दिया। द रेवोल्यूशन- देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से, आप सभी को छत्रपति शिवाजी जयंती की बहुत शुभकामनाएं। उम्मीद करते हैं कि उनकी सफलता और महान अचीवमेंट्स की कहानियों से आप हमेशा सीख लेते रहेंगे।