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Best age to become Spiritual This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

Best age to become Spiritual

स्पिरिचुअल बनने की सही उम्र क्या है। हमारी लाइफ का कोई ऐसा पड़ाव, जो डिफाइन करता है कि हां, अब हमें आध्यात्मिक बन जाना चाहिए। क्या आध्यात्मिक होने या आध्यात्मिकता को समझने के लिए कोई मिनिमम और मैक्सीमम एज लिमिट है। बिलकुल नहीं! खून-खराबे को देखकर सम्राट अशोक ने अध्यात्म अपनाया, वाल्मीकि जी ने भी, शादी और बच्चों के बाद, जीवन का सही सार समझा! वहीं प्रहलाद की तरह आदि शंक्राचार्य ने भी बचपन में ज्ञान पा लिया था! लेकिन अगर आप आध्यात्मिक बनना चाहते हैं, तो इसके लिए एक ‘‘Best age’’ जरूर है! इसे, जानने के लिए सबसे पहले हमें, आध्यात्मिकता के असली मतलब को समझना होगा। स्प्रिचुएलिटी है क्या- एक आर्ट, एक रास्ता और एक विज्ञान! यानी खुद को जानना और कहीं न कहीं ईश्वर से अपने आप को कनेक्ट करना। या यू कहें कि खुद को समझने के लिए, इस सृष्टि को बनाने वाले की प्रेजेंस को फील करना स्प्रिचुएलिटी है! आध्यात्मिकता का मतलब अपनी जिंदगी को एन्जॉय करना है, और दूसरों के लिए भी वही प्यार और सहानुभूति रखना है, जो हम खुद के लिए चाहते हैं। हर किसी का अपना धर्म है और हर धर्म की अपनी एक धार्मिक किताब है! आध्यात्म के लिए हमें किसी न किसी धर्म से जुड़ना पड़ता है, बस उसे गहराई से जानना पड़ता है! स्पिरिचुअल होने का मतलब यह नहीं है कि आप हिंदू हैं, और अगर आप मुस्लिम, सिख, ईसाई या किसी भी धर्म को मानते हैं, आप तब भी आध्यात्मिक हो सकते हैं! मान लीजिए किसी को डॉक्टर या इंजीनियर बनना है, तो एक मेडिकल या इंजीनियरिंग कॉलेज में जाना होगा! ज्ञान के लिए उस विषय की किताबों को पढ़ना होगा! ठीक वैसे ही, अध्यात्म के लिए ज्ञान जरूरी है और हर धार्मिक पुस्तक, चाहे वो किसी भी धर्म की हो, हमें मानवता का सही अर्थ और स्वीकार करना सिखाती है!

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लेकिन अक्सर यह माना जाता है कि स्पिरिचुअल होना- सिर्फ भगवान को मानना, पूजा-पाठ करना, घर-परिवार छोड़कर तपस्या करना, एक सादा जीवन जीना और शाकाहारी बनना है। हम सब ने सुना है कि भगवान- हर इन्सान में और इस ब्रह्मांड की हर चीज में, मौजूद है। और इस सत्य को स्वीकार करना ही, आध्यात्मिकता है। स्पिरिचुअल बनने की उम्र की अगर बात की जाए, तो कई बार हम सोचते हैं कि रिटायर होने के बाद आध्यात्मिक बन जाएंगे। अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने के बाद भगवान का जाप या तीर्थ यात्रा करेंगे। आपका यह कदम, निश्चय ही आपके विचारों को पवित्र करेगा और आप समझ पाएंगे कि आपने, अतीत में क्या सही और क्या गलत किया। लेकिन ज्ञान का मार्ग- एक करियर ट्रैक नहीं है। यह कोई पेशा या कोई खेल नहीं है। हमारे उपनिषद में यम ने नचिकेता को बताया था कि जीवन में दो मार्ग हैं - सुख का मार्ग और आध्यात्मिकता का मार्ग। पहले मार्ग में भौतिक सुख हैं, लेकिन अगर, कोई दूसरे रास्ते पर चलकर परम ब्रह्मा को पा लेता है, तो उसे परम आनंद मिलेगा, जो पहले वाले रास्ते पर चलकर मुमकिन नहीं है। वास्तव में आप जब चाहें, आध्यात्मिकता से जुड़ सकते हैं। लेकिन आध्यात्मिक होने के लिए युवावस्था बेस्ट है, क्योंकि उस वक्त आप में जुनून, साहस और ताकत होती है। एक उदाहरण से समझते हैं। स्कूल जाने की सही उम्र क्या है। कुछ बच्चे 6 साल की उम्र में एडमिशन लेते हैं, कुछ अढ़ाई से 3 साल में। या फिर जॉब के लिए सही उम्र क्या है- 23 से 25, लेकिन हमने 12 से 14 साल के बच्चे भी टॉप एमएनसी में जॉब करते देखे हैं। इसका मतलब यही है कि चाहे कोई भी काम हो, जब आप काबिल हो जाते हैं, वही सही उम्र है।

माउंट एवेरेस्ट 50 से 60 साल की उम्र में भी चढ़ा जा सकता है, लेकिन उस वक्त आपको ज्यादा तकलीफ होगी और आपकी एफिशिएंसी उतनी ही कम। आध्यात्मिकता का मतलब ऊपर उठना है, और ऊपर उठने के लिए साहस, शक्ति और जुनून बहुत जरूरी है और यह सारी क्वालिटीज, युवावस्था में सबसे ज्यादा होती हैं। आध्यात्मिकता से आप किसी भी उम्र में जुड़ सकते हैं, लेकिन स्पिरचुअल बनने की बैस्ट ऐज युवावस्था है, जब आप फिजिकली और मेंटली पूरे तरीके से स्ट्रांग होते है। आप कोई फल खाना चाहते हैं, या किसी को देना चाहते हैं, और आपके पास एक कच्चा फल है, एक पका हुआ और एक ज्यादा पका हुआ फल, जो तकरीबन खराब होने की कगार पर है। जाहिर सी बात है आप पका हुआ फल चुनेंगे। और खास, जब भगवान को कुछ देने की बात हो, या आध्यात्म के रास्ते उनके साथ, जुड़ना हो, तो क्यों न एक परिपक्व उम्र में यानी युवावस्था में, खुद को उनके आगे समर्पित किया जाए!