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संतुलन प्रकृति का नियम है This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

संतुलन प्रकृति का नियम है

आनंद के पापा के ऑफिस में कई लोग काम करते हैं। उनका एक कर्मचारी, बहुत बढि़या काम करता था। लेकिन, उसे पिछले 2 साल से अप्रेजल नहीं मिला था। वो, अपने एक दोस्त से मिला और उसे, अपनी ये, अप्रेजल वाली प्रोबलम बताई। कि बॉस को बार बार कहने के बावजूद, वो उसकी सैलरी नहीं बढ़ा रहे। दोस्त ने सुझाव दिया- कि 1 दिन, बिना बताए, ऑफिस से छुट्टी कर लेना। अगले दिन उसने वैसा ही किया। और 1 दिन बाद, जब वो दोबारा ऑफिस आया, तो उसने देखा कि- उसके नहीं आने से, ऑफिस के कई काम रुके पड़े थे। फिर से अप्रेजल की बात की। लेकिन, इस बार, उसके बॉस को, मजबूरन उसकी सैलरी बढ़ानी पड़ी।

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वो बहुत खुश हुआ। लेकिन अब वो क्या करता। 2- 3 महीने, ऑफिस आता और फिर कुछ दिन छुट्टी कर लेता। और वापस आने के बाद, सैलरी बढ़ाने की बात करता। मैनेजमेंट को, मजबूरी में उसकी सैलरी बढ़ानी पड़ती, क्योंकि काफी काम, सिर्फ उसी की वजह से हो रहे थे। वो लगातार, ऐसा कर रहा। एक दिन जब वो, छुट्टी काटकर, ऑफिस आया- तो देखता है- कि उसके कैबिन में, कोई और बैठा था। असल में, उसे टर्मिनेट कर दिया गया था। अपने टैंलेंट और काम का पैसा मांगने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन किसी की मजबूरी का फायदा उठाना, सही नहीं।